
मार्गशीर्ष(अगहन) मास की पूर्णिमा को दत्त जयंती का पर्व मनाया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी तिथि को भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। दत्तात्रेय भगवान विष्णु के ही अवतार माने गए हैं। इस बार दत्त जयंती का पर्व 10 दिसंबर, शनिवार को है।
भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि भक्त के स्मरण करते ही भगवान दत्तात्रेय उसकी हर समस्या का निदान कर देते हैं इसलिए इन्हें स्मृतिगामी व स्मृतिमात्रानुगन्ता कहा जाता है। श्रीमद्भगावत आदि ग्रंथों के अनुसार इन्होंने चौबीस गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। भगवान दत्त के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ।
गिरनारक्षेत्र श्रीदत्तात्रेय भगवान की सिद्धपीठ है। इनकी गुरुचरणपादुकाएं वाराणसी तथा आबू पर्वत आदि कई स्थानों पर हैं। दक्षिण भारत में इनके अनेक प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय के निमित्त व्रत करने एवं उनके मंदिर में जाकर दर्शन-पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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