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01 नवंबर 2011

कलेक्टर तो बन गए, लेकिन इंसान नहीं’

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कोटा.दो दिवसीय कोटा प्रवास पर आए प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक डॉ. एसएन सुब्बाराव ने मंगलवार को युवाओं और स्कूली छात्रों से संवाद में कहा कि जीवन का मकसद कलेक्टर अथवा चीफ इंजीनियर बनना ही नहीं है, बल्कि देश का जिम्मेदार नागरिक बनने की भावना सवरेपरि होनी चाहिए।

शिक्षा पर खर्च होने वाली राशि में किसान-मजदूरों की कड़ी मेहनत का हिस्सा होता है और समाज का वही वंचित वर्ग उपेक्षित-प्रताड़ित होकर रह जाता है। कलेक्टर में अगर मानवीय भावना संवेदना नहीं है तो उसका इस पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।

अधिकारी सरकार से वेतन के रूप में लाखों रुपए लेते हैं और समाज के वंचित लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं। सुब्बाराव ने राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग छात्रों व बुद्धिजीवियों के बीच संवाद किया। इससे पहले उन्होंने श्रीनाथपुरम स्थित लॉरेंस मेयो स्कूल में बच्चों को अपने जीवन के अनुभव सुनाए।

उन्होंने बच्चों और युवाओं के साथ देशभक्ति और जनचेतना जगाने वाले गीतों का सामूहिक पाठ कर माहौल में रवानगी पैदा की। तकनीकी विश्वविद्यालय में सुब्बाराव ने युवाओं से कहा कि कलेक्टर या अन्य ऊंचे ओहदे पर बैठे अधिकारी की जिम्मेदारी है कि सरकार से जो पैसा जिस वंचित गरीब व्यक्ति के लिए आ रहा है, वह उसे राहत देने पर खर्च किया जाए। एक राज्य में आदिवासियों के लिए करोड़ों रुपए आए लेकिन, एक भी आदिवासी परिवार को उसका लाभ नहीं मिला।

एक तरफ बहुमंजिले आलीशान भवन खड़े हैं तो दूसरी ओर झोपड़पट्टी हैं। देश के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और नहीं हो सकती। सबसे गए बीते भूखे और गरीब की तस्वीर आंख बंद कर सामने लाओ और उसकी मदद करो।

देश को आजादी मिली, उस दिन ही अगर बच्चे-बच्चे में ईमानदार और जिम्मेदार नागरिक बनने की भावना का पौधरोपण हो जाता तो आज यह स्थिति सामने नहीं आती। कार्यक्रम में राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति आरपी यादव और महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति समन्वयक पंकज मेहता ने भी विचार व्यक्त किए।

गीत-नृत्य में एकता का संदेश

नयापुरा सीवी गार्डन में शाम को सुब्बाराव की मौजूदगी में सभी धर्मो की प्रार्थना सभा की गई। साथ ही देशभक्ति गीतों पर स्कूली छात्र-छात्राओं ने सामूहिक नृत्य किया। भारत का नक्शा बनाकर उसमें अलग-अलग प्रांतों को दर्शाया गया था। छात्रों ने संबंधित प्रांत की वेशभूषा धारण कर वहां मोमबत्ती जलाकर उसी भाषा में गीतों की प्रस्तुति दी। गार्डन में हवाखोरी के लिए आने वाले लोगों ने सुब्बाराव का स्वागत किया।

नर्सरी में किया श्रमदान

सुब्बाराव ने दूसरे दिन मंगलवार को भी देवलीअरब रोड स्थित वन विभाग की नर्सरी में सुबह साढ़े 6 बजे से 8 बजे तक श्रमदान किया। उन्होंने नर्सरी में साफ सफाई की तथा गेंती फावड़े से पौधों के आसपास निंदाई खुदाई कर पानी पिलाया।

श्रम का अनादर अनुचित

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति आरपी यादव ने सुब्बाराव को देश का जीता जागता गांधी बताते हुए कहा कि इन्होंने अपना पूरा जीवन ही देश की सेवा में लगा दिया। वे सुब्बाराव के व्यक्तित्व से प्रभावित हैं और नेट पर भी उनके बारे में जानकारी प्राप्त की है। यादव ने कहा कि जिस देश में बहुत ज्यादा गरीबी हों, वहां संपन्नता का भोंडा प्रदर्शन शर्मनाक है। मजदूर को देखकर उसे निचला समझकर नफरत क्यों की जाती है। श्रम के प्रति यह अनादर बिल्कुल ठीक नहीं है।

पशु भ्रष्ट नहीं तो आदमी क्यों

सुब्बाराव ने कहा कि झूठ और बेईमानी से देश का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। जब कुत्ते व गाय भ्रष्टाचार नहीं करते तो मनुष्य क्यों कर रहा है। ईमानदार से आदमी का दिमाग शांत रहता है लेकिन, भ्रष्टों का नहीं। भारतमाता को जितना सुखी होना चाहिए, नहीं है। हालात बदलने के लिए नौजवानों को आगे आना चाहिए। लेकिन आज का नौजवान सिगरेट पीने में अपनी शान समझता है और देशभक्ति के गीत गाने में शर्म आती है। ऐसे में देश का भविष्य क्या होगा, चिंता का विषय है।

खेल-खेल में ईमानदारी का पाठ

श्रीनाथपुरम लॉरेंस मेयो स्कूल में सुब्बाराव ने स्कूली छात्र-छात्राओं से सीधे संवाद करने के साथ ही उन्हें खेल में ईमानदारी का पाठ पढ़ाया। सुब्बाराव ने पूछा कि दुनिया की सबसे बड़ी दौलत क्या है तो बच्चों ने कहा ईमानदारी। उन्होंने बच्चों को इस सामूहिक गान का पाठ कराया, ‘नौजवान आओ रे, इस महान देश को नया बनाओ रे, धर्म की दुहाइयां, प्रांत की जुदाइयां भाषा की लड़ाइयां पाट दो।’ स्कूल के डायरेक्टर प्रदीप गौड़ और पंकज मेहता ने भी विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय युवा योजना की सदस्य निधि प्रजापति भी मंचासीन थी।

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