तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 नवंबर 2011
इसे कोंग्रेस की लापरवाही कहें या मानसिकता
दोस्तों कोंग्रेस पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के नाम पर वोटों की राजनीति के आरोप लगते रहे हैं और मुसलमान वोटर भेड़ चाल की तरह चुनाव के दिन बिना कुछ सोचे समझे घर से निकलता है और वापस घर में जाकर सो जाता है यह सच भी सारा देश जानता है नहीं जानती तो केवल कोंग्रेस और उसके नेता ॥ राजस्थान सरकार ने हाल ही में राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन पद पर हाडोती सम्भाग कोटा के मोलाना फजले हक को नियुक्त किया अपनी नियुक्ति के बाद वोह पहली बार कोटा आये उनके आने का पुरे कोटा में प्रचार प्रसार था और जब स्टेशन पर उन्हें लेने पहुंचे तो उनके ही समाज के लोग वहां मोजूद थे सरकार के प्रतिनिधि के रूप में सुरक्षा कर्मी तो थे लेकिन कोंग्रेस पार्टी के रूप में वहां एक भी प्रतिनिधि नहीं था केवल संसद इजय्राज समर्थक हिम्मत सिंह हाडा ही वहां पहुंचे थे ॥ शहर के मुसलमानों ने जब स्टेशन पर कोंग्रेस की इस उपेक्षा को देखा तो उनका सर चकरा गया खेर कोई बात नहीं सोचा अब कोंग्रेस कार्यालय में ही कार्यवाही होना है वहां मोलाना फजले हक का स्वागत होगा मोलाना फजले हक ने कोंग्रेस के अध्यक्ष गोविन्द शर्मा को फोन कर दिया था गोविन्द शर्मा केठुनिपोल के है और अधिकतम दोस्त उनके मुस्लिम समाज के है उनकी इस समाज में बहतरीन विशवास वाली छवि है इसलियें उन्हें तो जाना ही था वोह कोंग्रेस कार्यालय गये वहां कार्यक्रम भी हुआ स्वागत भी हुआ लेकिन कोंग्रेस के दुसरे पदाधिकारी और कार्यकर्ता गायब थे केवल नरेश विजय वर्गीय संतोष और गोविन्द जी बावी मोलाना फजले हक के साथ आये हुए लोग थे एक सलीम भाई गुड्डा भाई और थे अब एक राज्य स्तरीय मंत्री का दर्जा लेकर कोई सरकार कोई संगठन से जुडा आदमी पहली बार कोटा आये और उसकी ऐसी उपेक्षा क्या साबित करती है या तो वोह कोंग्रेस के मिजाज़ के नहीं या फिर कोंग्रेस के कोटा के लोग उनसे खुश नहीं या फिर वोह एक ऐसे वोटर तबके के है जिनके बारे में कोंग्रेस जानती है कितनी ही उपेक्षा करो वोह आखिर जायेंगे कहा ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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जब तक हम धर्म व जाति के आधार पर वोट देंगे राजनीतीज्ञ ऐसे ही हमारा थोड़ा सा तुष्टिकरण कर फायदा उन्थाते रहेंगे!!
जवाब देंहटाएंइसलिए इस दोहन के जिम्मेदार राजनितिक पार्टियां नहीं हम खूद है जो इन्हें अपनी जातिय व धार्मिक भावनाओं का दोहन करने की खुली छूट देते है|