इस अवसर पर बाल न्याय अधिनियम पर चाइल्ड लाइन इंडिया फाउंडेशन ने बाल सुरक्षा और संरक्षण की जानकारी दी। बच्चों से जुड़े आपराधिक मामलों में पुलिस विभाग की क्या भूमिका हो सकती है, बच्चों को किस प्रकार के व्यवहार की आवश्यकता होती है। कार्यशाला में बच्चों के अपराध पर चिंता जताई गई।
अपराध किए जाने के कारणों पर भी चर्चा की गई। अभिभावकों की लापरवाही के कारण भी बच्चे अपराध की ओर जाते हैं। बाल अधिकारों के बारे में चाइल्ड एक्सपर्ट सुमित कुमार ने बताया कि कानूनी तौर पर बच्चे की कोई एक आयु निर्धारित नहीं की गई है। 2011 की जनगणना के आधार पर हिमाचल में 6 वर्ष तक के आयु वर्ग के 7 लाख 63 हजार 864 बच्चे हैं। जिला कांगड़ा में 1 लाख 60 हजार 865 बच्चे हैं।
लाहौल-स्पीति में इनकी संख्या सबसे कम 2494 है। कार्यशाला में जुवेनियल जस्टिस वाई चिल्ड्रन रूल्स 2007 पर पुलिस विभाग के जिला उप-न्यायवादी भाग सिंह चंदेल ने पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को जानकारी दी। कार्यशाला का समापन एसपी जिला कांगड़ा दिलजीत सिंह ठाकुर ने किया।
246 आपराधिक घटनाओं को दिया अंजाम
2010 में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बच्चों से संबंधित 246 आपराधिक घटनाएं हुई। इनमें बाल हत्या 1, हत्याएं 5, बलात्कार 72, अपहरण 86, बाल विवाह 5 और 69 अन्य अपराध के मामले पुलिस थानों में दर्ज किए गए।
ट्रेनिंग एंड एडवोकेसी विशेषज्ञ डॉ. कोमल गनोतरा ने बताया कि उनकी संस्था ने प्रदेश में बच्चों के लिए टोल फ्री नंबर 1098 पर सेवा शुरू की गई है। गुम और घर से भागे हुए बच्चों के संबंध में जानकारी इस नंबर पर दी जा सकती है।
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