मंत्री तो बाल-बाल बच गए, लेकिन इस घटना में 7 लोगों को चोटें आई हैं। सभी को निजी अस्पताल में उपचार दिया जा रहा है। मंच गिरने का कारण क्षमता से अधिक लोगों का उपस्थित होना था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रदेश के नगरीय प्रशासन राज्यमंत्री मनोहर ऊंटवाल दोपहर करीब 12.25 बजे मंच पर आए। इस समय मंच पर विद्वानों सहित 40 से अधिक लोग बैठे हुए थे। इस समारोह को यादगार बनाने के लिए विद्वानों और मंत्री और शिष्यों की एक साथ फोटो सेशन कराने की घोषणा की गई।
इसके लिए सभी शिष्यों को मंच पर आने के लिए कहा गया। करीब 80 शिष्य लाइन लगाकर मंच के पास खड़े थे। वे एक-एक करके मंच पर पहुंच रहे थे। मंच पर शिष्यों को अतिथियों की कुर्सी के आगे बैठाया जा रहा था। मंच पर 60 से अधिक शिष्य पहुंच चुके।
मंच पर शिष्यों की तीन लाइन पूरी हो गई थी, इस दौरान करीब 20 शिष्य मंच पर आने के लिए मंच की सीढ़ियों पर खड़े थे। इसमें से कुछ ऊपर चढ़ ही रहे थे कि मंच का अगला हिस्सा हिलने लगा। मंच को हिलता देख कोई कुछ समझ पाता कि पूरा मंच भरभराकर धाराशायी हो गया।
मंच पर बैठे सभी लोग मंच के साथ जमीन पर आ गए। मंच गिरते ही पंडाल में अफरा-तफरी मच गई। लोग अपने जगह से उठकर इधर-उधर भागने लगे।
मंच के साथ गिरे लोग भी एक दूसरे के ऊपर पड़े थे। शिष्यों के ऊपर विद्वान थे और विद्वानों के ऊपर सामान था। बाद में लोगों ने अपने ऊपर से सामान को अलग किया और एक-दूसरे के सहारे से अपने को सहलाते हुए उठे।
कमर मसलते उठे मंत्री: मंच से जमीन पर गिरे मंत्री मनोहर ऊटवाल इस हादसे में बाल-बाल बच गए लेकिन उन्हें भी चोट लगी। जमीन पर गिरने के बाद जब वे उठ रहे थे तब एक हाथ उनका सीधी कमर पर था और वे उसे मल रहे थे। मंच से बाहर आने के बाद उन्होंने पसीना पोंछा। इसके बाद एक तरफ खड़े हो गए।
पूछने पर उन्होंने कहा कि मुझे कुछ नहीं हुआ, कमर दब गई थी। मैं पूरी तरह ठीक हूं। हालांकि मंच से गिरने का उनका यह पहला अनुभव था। इसी तरह नपाध्यक्ष माया नारोलिया भी कुर्सी सहित मंच के साथ गिर गई थी। उन्हें चोट तो नहीं आई लेकिन वे भी घुटने पर हाथ रखते हुए उठीं थी। बाद में उन्होंने भी अपने आप का संभाला।
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