संसद की स्थायी समिति द्वारा तैयार किये गये लोकपाल विधेयक के मसौदे का अण्णा ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने रालेगणसिद्धी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि कांग्रेस के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार ने मजबूत लोकपाल लाने का दिया अपना वादा पूरा नहीं किया है।
ऐसा करके केंद्र सरकार ने टीम अण्णा से नहीं बल्कि देश के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि जनलोकपाल में जिन कड़े प्रावधानों की मांग को लेकर हम लड़ रहे थे। केंद्र सरकार के लोकपाल के विधेयक के मसौदे में उन्हें शामिल नहीं किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा किये गये इस विश्वासघात को सहन नहीं किया जायेगा।
... तो कांग्रेस के खिलाफ करूंगा प्रचार
अण्णा ने कहा कि जब तक उनके शरीर में जान है, वे मजबूत लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर जंग जारी रखेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है कि सरकार के लोकपाल के दायरे से प्रधानमंत्री, सांसदों, न्यायपालिका, सीबीआई और निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों को बाहर रखा गया है।
ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ कैसे लड़ा जा सकेगा? वरिष्ठ गांधीवादी विचारक अण्णा ने चेतावनी दी है कि यदि संसद के शीतसत्र में लोकपाल विधेयक का मौसादा पेश नहीं किया जाया है, तो वे पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में खुद कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे।
अपने गिरेबान में झांके सरकार
गैरसरकारी संगठनों (एनजीओ) और मीडिया को लोकपाल के दायरे में लाये जाने का समर्थन करते हुए अण्णा ने सरकार को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले खुद को इसके दायरे में लाये उसके बाद ही दूसरों की ओर अंगुली दिखाये।
अण्णा ने कहा है कि सरकार सीबीआई को या तो स्वायत्ता प्रदान करे या फिर उसे लोकपाल के दायरे में रखे। क्योंकि अब तक सीबीआई की जांच से किसी भी बड़े नेताओं को जेल की हवा नहीं खानी पड़ी है।
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