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10 नवंबर 2011

विश्वयुद्ध के समय इन चमगादड़ बमों ने जर्मन खेमे में मचा दी थी 'सनसनी'

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दुनिया में अब तक जानवरों को हथियारों के तौर पर कई बार इस्तेमाल किया गया है। ऐसा ही एक प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने किया था। अमेरिकी नौसेना बेस पर्ल हार्बर पर हुए जापानी हमले से दुखी अमेरिका के डेंटल सर्जन लाएटल एस एडम्स ने चमगादड़ को बम के तौर पर इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा था।

राष्ट्रपति रूजवैल्ट ने इसे मंजूरी दे दी थी और इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया था। इसके लिए बहुत से चमगादड़ों की जरूरत पड़ी थी। चमगादड़ों द्वारा ले जाए जाने वाले अपकरण डिजाइन किए गए। इसके बाद चमगादड़ों को ले जाने के लिए खास तरह की ट्रे डिजाइन की गईं। एक ट्रे में चालिस चमगादड़ों के अलग-अलग केस होते थे।

प्लेन से ले जाकर इन्हें पांच हजार फीट की उंचाई से छोड़ दिया जाता था। हजार फीट की ऊंचाई पर केस अलग-अलग हो जाते थे। इनमें से बम लगे हुए चमगादड़ निकलकर दुश्मन के इलाके में छिप जाते थे, खासकर बिल्डिंगों में। बाद में यह बम फटते और आग लगा जाती थी। वैसे 20 लाख डॉलर खर्च करने के बाद भी अमेरिका का यह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं रहा और प्रोजेक्ट बंद कर दिया गया।

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