पुलिस ने बताया कि अल्पसंख्यक बहुल जूहापुरा क्षेत्र में नदीम को उस समय निशाना बनाया गया जब वह अपने नित्यकर्म के बाद घर के समीप ही दुकान पर चाय पीने पहुंचा था। हमलावरों ने धारदार हथियारों से एक के बाद एक 25 वार किए। स्थानीय लोगों ने लहूलुहान हालत में उसे अस्पताल पहुंचाया जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। नदीम के पिता ने दो लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है।
पुलिस की मदद कर रहा था नदीम:
जूहापुरा इलाके में एक समूह ने पुलिस दल पर हमला कर पुलिस वैन को आग लगा दी थी। इस वारदात के असली आरोपियों को पकड़वाने में नदीम पुलिस की मदद कर रहा था। माना जा रहा है कि उसके इन कार्यों से खफा असामाजिक तत्वों ने उसकी हत्या कर दी।
इस तरह बना गवाह:
नदीम पुराने अहमदाबाद के रिलीफ रोड क्षेत्र में मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाता था। 2002 में एक व्यक्ति उसकी दुकान पर बंद मोबाइल की मरम्मत करवाने आया। इस मोबाइल को ठीक करने पर जब देखा तो पता चला कि उस मोबाइल फोन से हत्याकांड के समय कई राजनीतिज्ञों से बात हुई थी। इस पर नदीम ने यह मोबाइल पुलिस को सौंप दिया था। जांच में यह मोबाइल अशोक सिंघी नामक व्यक्ति का होने का खुलासा हुआ, जो नरोडा पाटिया मामले में एक आरोपी है। नरोडा पाटिया मामले में 28 फरवरी 2002 में 95 लोग मारे गए थे। यह घटना गोधरा ट्रेन हादसे के बाद हुई थी।
वारदात के समय नदारद था जवान, निलंबित:
नरोडा पाटिया कांड में गवाह के चलते नदीम को 24 घंटे सुरक्षा कवच मुहैया करवाया गया था, किंतु जूहापुरा में रहते समय वह जवानों को साथ नहीं रखता था। बाहर जाते समय ही साथ लेता था। इसलिए नदीम जब जूहापुरा में होता था तब सुरक्षा के लिए तैनात जवान जूहापुरा चौकी पर रहते थे। पुलिस अधिकारी एच.जी. पटेल ने बताया कि शनिवार को सुरक्षा में तैनात जवान को निलंबित कर दिया गया है।
जुलाई में जताई थी हत्या की आशंका:
नदीम ने इसी साल जुलाई में मेहबूब सीनियर से खुद की जान को खतरा बताते हुए पुलिस के समक्ष लिखित शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि मेहबूब सीनियर एक असामाजिक तत्व है, जिसकी पुलिस में भी अच्छी पहुंच है। वह मुझे नरोडा पाटिया केस में धमका रहा है। उसकी धमकी से मैं घबरा गया हूं। मेरी जान को खतरा है।
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