उज्जैन को देवताओं की नगरी कहते हैं। यहां अनेक चमत्कारिक मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर है भगवान कालभैरव का। यहां भगवान कालभैरव की प्रतिमा को शराब का भोग लगाया जाता है और आश्चर्य की बात यह है कि देखते ही देखते वह पात्र जिसमें शराब का भोग लगाया जाता है, खाली हो जाता है। यहां रोज श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और इस चमत्कार को अपनी आंखों से देखती है।
महाकाल के कोतवाल हैं कालभैरव
भगवान काल भैरव का मंदिर मुख्य शहर से कुछ दूरी पर बना है। यह स्थान भैरवगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है। काल भैरव का मंदिर एक ऊंचे टीले पर बना हुआ है जिसके चारों ओर परकोटा बना हुआ है। धर्म शास्त्रों के अनुसार काल भैरव भगवान शंकर को कोतवाल हैं उसी मान्यता के अनुसार उज्जैन में भी कालभैरव को शहर का रक्षक या कोतवाल माना जाता है।मंदिर में काल भैरव की मूर्ति बहुत भव्य एवं प्रभावोत्पादक है। कहा जाता है कि यह मंदिर राजा भद्रसेन द्वारा निर्मित है। मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। मंदिर पर भैरव अष्टमी को यात्रा होती है जिसमें सवारी भी निकलती है। पुराणों में जिन अष्टभैरव का वर्णन है, उनमें ये प्रमुख हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 नवंबर 2011
चमत्कार: यहां भगवान कालभैरव सचमुच शराब पीते हैं
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