कार्तिक मास की पूर्णिमा पर सिक्ख धर्मावलंबियों द्वारा प्रकाश पर्व मनाया जाता है। प्रकाश पर्व सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस बार गुरुनानक जयंती 10 नवंबर, गुरुवार को है।
मान्यता के अनुसार गुरुनानक देव का जन्म अप्रैल सन् 1469 में लाहौर के पास तलवंडी में हुआ। इनका परिवार कृषि आदि कार्य से संबंधित था। गुरुनानक का जहां जन्म हुआ था वह स्थान उन्हीं के नाम पर अब ननकाना के नाम से जाना जाता है। ननकाना अब पाकिस्तान में है। नानकदेवजी बचपन से प्रखर बुद्धि थे। प्रारंभ से ही इनके चेहरे पर अद्भुत तेज दिखाई देता था। नानकजी का विवाह 16 वर्ष की उम्र में हुआ।
इनके दो पुत्र हुए। चूंकि नानकदेव का मन धर्म और अध्यात्म की ओर था अत: वे पत्नी और बच्चों को ससुराल में छोड़कर धर्म के मार्ग पर निकल गए। गुरुनानकजी ने अपने पूरे जीवन में सामाजिक कुरीतियों का पुरजोर विरोध किया। समाज में एकरूपता लाने के लिए अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया। इन्होंने यही संदेश दिया कि ईश्वर एक है और हमें उसी की आराधना करनी चाहिए।
गुरुनानकजी ने भारत सहित अनेक देशों की यात्राएं की। वे मानवीय और धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे थे। ऐसा माना जाता है कि गुरुनानक देव ने 1539 देह का त्याग किया।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 नवंबर 2011
गुरुनानक जयंती आज, मानवता का संदेश देता है प्रकाश पर्व
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