लखनऊ/देहरादून।उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह पवित्र दर्शनीय और धार्मिक स्थान है। चारों ओर से बर्फ की चादरों से ढ़की पहाड़ियों के केन्द्र में स्थित इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु शंकराचार्य ने कराया था। लेकिन यह मंदिर करीब एक हजार साल पहले स्थापित किया गया था।
जनश्रुति के अनुसार इस सिद्ध स्थान की सबसे खास विशेषता यह है कि यहां भगवान शंकर साक्षात प्रकट हुए थे। वर्तमान में भी कुछ साधु संतों ने शंकर जी को इस स्थान पर महसूस किया है। यही कारण है कि देश के बड़े से बड़े धनपति, राजनेता और फिल्मस्टार यहां जाकर सर सजदा करते हैं।
मंदिर के अंदर की दीवारों में कई ऐसी आकृतियां उकेरी गई हैं, जिनमें कई पौराणिक कथाएं छिपी हुई हैं। मंदिर के मुख्य द्वार के आगे भगवान शिव के वाहन नंदी की विशाल मूर्ति उनकी सुरक्षा का जिम्मा लिए हुए है। मंदिर का शिवलिंग प्राकृतिक है एवं मंदिर के पीछे आदि जगद्गुरु शंकराचार्य की समाधि है।
कहा जाता है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित हैं।
महाकवि राहुल सांकृत्यायन द्वारा इस मंदिर का निर्माणकाल 10वीं व 12वीं शताब्दी के मध्य बताया गया है। यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत व आकर्षक नमूना है। मंदिर के गर्भ गृह में नुकीली चट्टान भगवान शिव के सदाशिव रूप में पूजी जाती है। धर्म में आस्था रखने वाले पर्यटक के इच्छुक व्यक्ति यहां जाकर असीम आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
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