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28 नवंबर 2011

असीमानंद का दर्द, कहा-'मां के सामने मेरे कपड़े उतारने की धमकी देते थे वो'



अम्बाला. पंचकूला .ब्लैक बोर्ड पर सीबीआई, एटीएस और नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी अपनी कहानी लिखते थे और मुझे उस कहानी को याद कर कोर्ट में यही सब बोलने के लिए कहा जाता था।

साथ ही धमकी दी जाती थी कि अगर ऐसा नहीं किया, तो जान से मार देंगे। मेरे परिवार को भी मारने की बात कही जाती थी। इतना ही नहीं, मुझे यह भी कहा गया कि अगर बयान हमारे मुताबिक नहीं दिए, तो मेरी मां के सामने मेरे कपड़े उतारे जाएंगे।

सुरक्षा एजेंसियों की इस प्रताड़ना की वजह से ही मैंने बयान दिए। यह सब बातें समझौता व अन्य ब्लॉस्ट में आरोपी स्वामी असीमानंद ने अपने पत्र में लिखी हैं और यह पत्र भारत की राष्ट्रपति, गृह मंत्री, ह्यूमन राइट्स, केबिनेट सेक्रेटरी, सुप्रीम कोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट, जयपुर हाई कोर्ट, हैदराबाद हाईकोर्ट, मुंबई हाई कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा है।


असीमानंद ने पत्र में आगे लिखा है कि अधिकारियों की इन हरकतों की वजह से मुझे अपने हिन्दू होने पर शर्म आ रही है। मुझे जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और मैं हिन्दू और मेरे कोई मानवाधिकार नहीं हैं। स्वामी असीमानंद ने यह पत्र उस बात से परेशान होकर लिखा है कि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई, जबकि वे अपना जुर्म कबूल कर चुके हैं, जबकि उन्हें जमानत नहीं दी जा रही। असीमानंद फिलहाल अम्बाला सेंट्रल जेल में बंद हैं।

लश्कर ए तैयबा का हाथ था तो मुझे क्यों फंसाया

स्वामी असीमानंद के पत्र में लिखा है कि समझौता ब्लॉस्ट की जिम्मेदारी सबसे पहले लश्कर ए तैयबा ने ली थी। जिसके तीन आतंकवादी पकड़े भी गए थे और उन्होंने कबूल किया था कि समझौता ब्लॉस्ट उन्हीं की देन है और पैसा दाउद इब्राहिम ने दिया था। इन तीनों आरोपियों का नाकरे टेस्ट भी हो चुका है। जब ये बात कबूल चुके थे, तो उन्हें क्यों इस मामले में फंसाया गया।


याचिका पर एनआईए को नोटिस


मेरे मानवाधिकार नहीं : असीमानंद ने लिखा है मुझे जमानत नहीं दी गई, जबकि मालेगांव ब्लॉस्ट के सात आरोपियों को जमानत दे दी गई। क्योंकि वे मुस्लिम हैं और मैं हिन्दू और मेरे कोई मानवाधिकार नहीं हैं।


चंडीगढ़. समझौता एक्सप्रैस ब्लास्ट मामले के आरोपी स्वामी असीमानंद की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नेशनल इंवेस्टीगेटिंग एजेंसी (एनआइर्ए) को नोटिस जारी किया है। असीमानंद ने याचिका में पंचकूला की स्पेशल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें स्पेशल कोर्ट ने समझौता एक्सप्रैस ब्लास्ट साइट से मिले नमूनों को अजमेर, हैदराबाद,मालेगांव व भोडासा ब्लास्ट साइट से मिले नमूनों को हैदराबाद की सीएफएसएल की लैब में मिलाने की अनुमति दी है।


स्वामी असीमानंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि एनआईए जानबूझ कर नमूनों के मिलान के बहाने उसे फंसाना चाहती है। अदालत ने मामले पर एक दिसंबर के लिए सुनवाई तय की है। समझौता एक्सप्रेस में धमाका 18 सितंबर की देर रात व 19 सितंबर 2007 की सुबह किया गया था।


इसमें 68 लोग मरे थे जबकि 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। एनएआई ने विस्फोटकों की सील खोल इनकी जांच करने की मांग की थी जिसे पंचकूला की स्पेशल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। कोर्ट के फैसले के खिलाफ स्वामी ने हाईकोर्ट में दस्तक देकर इसे खारिज करने की मांग की। कहा गया कि जांच का आदेश दिया गया तो उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा।

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