आपका-अख्तर खान

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01 नवंबर 2011

देश को बेईमानों और गद्दारों के आगे लुटा बेठे हो

यह क्या
हमने तो समझा था
मिटने से
बच जाओगे तुम
लेकिन
क्या करें
यह तो कुदरत का कहर है
ना समझे तुम
सियासत को
कुर्सी पर बेठने वाले नेताओं के इरादों को
भ्रष्टाचार और बेईमानी के सदाचार के पाखंड को
धर्म और साम्प्रदायिकता को
अब देख लो
देश को
बेईमानों और गद्दारों के आगे
लुटा बेठे हो ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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