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09 नवंबर 2011

इस चमत्कारी पावडर में छुपा है कई बीमारियों का इलाज

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कई रोगों में काम आने वाली पिप्पली के गुणों को आयुर्वेद के ग्रंथों में विस्तार से बताया गया हैं।आइये हम आपके लिए इनमें से कुछ खास गुण लेकर आयें हैं , जो इसके औषधीय महत्व को प्रकाशित करता है। अंगरेजी में इसे लांग पीपर के नाम से जाना जाता है।

-यह सांस नालियों में जमे म्यूकस यानि कफ को निकालने में मददगार होता है।

-यह तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने वाली औषधी है तथा हमारी आंत्र गुहा को भी ठीक रखती है ,अर्थात यह आँतों की पेरिस्टालटीक गति को भी नियंत्रित रखने में मददगार होती है।

-पिप्पली हमारी पाचन क्षमता को भी ठीक करने में मददगार होती है।

-यह त्वचा से सम्बंधित विकारों के लिए भी अत्यन्य फायदेमंद औषधी है , बस किसी भी प्रकार के कटे-फटे घाव में लगायें इसका तेल और देखें इसके लाभ।

-यह शरीर के किसे भी हिस्से में हो रहे वेदना का शमन करने वाली औषधी है।

-यह मूत्र वह संस्थान की विकृतियों में भी अपना अच्छा प्रभाव दर्शाती है।

- एक ग्राम पिप्पली चूर्ण को दोगुने शहद में मिलाकर चाटने से श्वास कास, हिक्का, ज्वर, स्वरभंग व प्लीहा रोग में लाभ होता है। यह पिप्पली कफरोग में बहुत लाभकारी है।

-यह एस्थमा,ब्रोंकाईटीस एवं पुरानी खांसी को दूर करने की रामबाण औषधी है।

इसके अलावा मलेरिया,डायरिया,पाईल्स,पेट दर्द ,भूख न लगना, हैजा, गैस बनना,नींद न आना आदि अनेकों रोगों में इसके प्रभाव गुणकारी हैं।

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