वकील चाहता है कि उसका केस लंबा चले और खत्म नहीं हो, लेकिन जब न्याय मिलता है तब तक जिंदगी का सब कुछ खत्म हो जाता है।’ ये टिप्पणी है सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की। वह शनिवार को हाईकोर्ट में पार्किग व चैंबर्स के विस्तार भवन के शिलान्यास एवं मध्यस्थता केन्द्र के शुभारंभ समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि वे कॉरपोरेट मामलों की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन पारिवारिक व छोटे मुकदमों को मध्यस्थता के जरिए पारस्परिक सहमति से निपटाया जा सकता है। मध्यस्थता करने वाला व्यक्ति प्रशिक्षित व निष्पक्ष होने के साथ विश्वसनीय हो और इसके लिए रिटायर लोगों व युवा वकीलों को साथ में जोड़ा जा सकता है।
न्याय न तो जटिल हो और न ही लंबा, मुकदमों का अंबार लग रहा है और लोग इस सिस्टम से परेशान हैं, ऐसे में हमें लोगों को सरल व निष्पक्ष न्याय प्रणाली मुहैया करानी चाहिए। संविधान में लोगों को जल्द निशुल्क विधिक सहायता देने का उल्लेख है, लिहाजा सभी स्वयं में बदलाव कर इस सिस्टम को बदलें।
अमेरिका में मध्यस्थता से निपटते हैं 94 प्रतिशत मुकदमे : समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने कहा कि अमेरिका में पर 94 प्रतिशत मुकदमे मध्यस्थता से निपटते हैं और लोग अदालतों में नहीं जाते, जबकि यहां पर अधीनस्थ अदालतों में 2 करोड़ 74 लाख मुकदमे, हाईकोर्ट में 42 लाख से ज्यादा व सुप्रीम कोर्ट में 56 हजार से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं।
इनमें से एक करोड़ पच्चीस लाख मुकदमे तो चेक बाउंस के ही ही हैं। इस समस्या को मध्यस्थता के जरिए निपटाया जा सकता है, क्योंकि इसमें पक्षकार मौजूद रहता है और पक्षकारों के संबंधों में सुधार होता है। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने भी मध्यस्थता पर जोर देते हुए कहा कि इससे मुकदमों की संख्या को कम किया जा सकता है।
प्रदेश में लंबित मुकदमे
>हाईकोर्ट में : 3 लाख से ज्यादा
>अधीनस्थ अदालतों में : 11 लाख
>जयपुर शहर व जिले में : 3.5 लाख
प्रोजेक्ट एक नजर में
>लागत : 16 करोड़ रुपए
>निर्माण कार्य होगा : दो बेसमेंट एवं तीन मंजिला भवन। लोअर व अपर में पार्किग और तीन मंजिलों में चैंबर्स बनेंगे।
>पार्किग : लोअर व अपर बेसमेंट सहित स्टैंड फ्लोर पर कार व दो पहिया वाहनों के लिए पार्किग होगी।
>चैंबर्स बनेंगे : 215, इनमें दो हजार वकील बैठ सकेंगे।
>निर्माण पूरा होगा : दो साल में
वकील साहिब,आपके अपने ही इस विषय-शीर्षक पर आपका अपना क्या विचार है ?
जवाब देंहटाएं- जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, कोटा.