गिनीज बुक में दर्ज इस 119 फिट लम्बे और 114 फिट चौड़ी इस छत के बीच में एक भी खम्भा नहीं है,इस छत के नीचे एक साथ 5000 लोग बैठ सकते हैं इस छत को बनाने में लगभग दो साल का समय लगा तथा इस सत्संग भवन को बनाने में तीन करोड़ रूपये का खर्च आया।
भवन कारीगरी की अनूठी मशाल पेश करने वाले इस भवन का निर्माण इंजीनियरों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था इस भवन का निर्माण एन एम डिजायनर्स लिमिटेड ने किया था 25 जुलाई 2009 वह ऐतिहासिक तारीख है जब गोविन्द देव जी के इस सत्संग भवन का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में बतौर दुनिया के सबसे विस्तृत भवन के रूप में दर्ज हुआ।
एक सपना जो सच हुआ!
जयपुर के सेबायत और न्यासी श्री अंजन कुमार गोस्वामी के पिता स्वर्गीय श्री प्रद्युम्न कुमार गोस्वामी ने यह स्वप्न देखा था कि श्रद्धालुओं के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ के लिए उनको पर्याप्त आवास की सुविधा के साथ एक ऐसा स्थान हो जहां वे सांस्कृतिक और भक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन कर सकें,लेकिन उनका यह स्वप्न उनके जीवनकाल में अधूरा रह गया।
उसके बाद उनके पुत्र और एकमात्र न्यासी श्री अंजन कुमार जी ने गोविन्द देवजी परिसर में इस तरह के भवन की कल्पना की जहां एक ही छत के नीचे लगभग 5000 लोग एक साथ बैठकर धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों का लाभ उठा सकें।
उन्होंने इस सम्बन्ध में सम्बंधित पक्षों से सलाह मशविरा किया,उनके इस काम में उनके उत्तराधिकारी श्री मानस गोस्वामी जी ने उनका भरपूर सहयोग किया,हालांकि कार्य चुनौतीपूर्ण और हर कदम पर जोखिम भरा था फिर भी दोनों ने मिलकर रात दिन की मेहनत से अपने इस कार्य को अंजाम देना शुरू कर दिया।
भारतीय वास्तुविद श्री राजेश खन्ना ने इस सत्संग भवन का खाका तैयार किया और इस भवन का ठेका राजस्थान राज्य सड़क विकास निगम (RSRDC) को दे दिया गया और काम शुरू हो गया। 7 जुलाई 2007 को शुरू होकर इस सत्संग भवन ने 383 दिनों की अवधि पूर्ण करते हुए 25 जुलाई 2009 को यह सत्संग भवन आम जनता के लिए समर्पित हो गया।
फाउंडेशन: मीटर गहरी, लंबाई: 119 फीट, चौड़ाई: 124 फीट जमीन से ऊँचाई: 24 फीट, रूफ क्षेत्र: 15,827 वर्ग फुट।
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