नई दिल्ली. पेट्रोल की कीमतों में इजाफे से परेशान आम आदमी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहत देने की बजाय और अधिक जख्म दे दिया है। फ्रांस में मीडिया से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पेट्रोल की कीमतों में कमी नहीं होगी। इसी तरह सरकार अब डीजल पर से भी अपना नियंत्रण कम करने की दिशा में भी बढ़ेगी। मनमोहन ने यह भी कहा कि यूरोप की मंदी का असर हिंदुस्तान में भी पड़ेगा।
दूसरी ओर, केंद्र में सत्तारुढ़ यूपीए सरकार में अहम सहयोगी तृणमूल कांग्रेस का पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमत को लेकर सरकार के खिलाफ गुस्सा सातवें आसमान पर आ गया है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आज कांग्रेस सरकार पर बरसते हुए कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ सरकार में मंत्रालयों के लिए आम आदमी पर बोझ बर्दाश्त नहीं करेगी। ममता ने सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस बहुमत में हैं इसलिए उनकी बात अनसुनी की जाती है।
ममता ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के सांसद केंद्र सरकार से बाहर होने के मत में हैं। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के देश से बाहर होने के वक्त इस तरह का फैसला लेना बिलकुल गलत है। लेकिन प्रधानमंत्री के लौटते ही हमारी पार्टी उनसे मुलाकात करेगी और अपना विरोध दर्ज कराएगी। ममता ने चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि तृणमूल के बिना केंद्र सरकार नहीं चल पाएगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी वापस नहीं ली गई तो वो सरकार का साथ छोड़ देंगे।
सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल ने गुरुवार आधी रात से एक बार फिर पेट्रोल के दाम 1.82 रुपये प्रति लीटर दाम बढ़ा दिए हैं। इस फैसले पर अब केंद्र सरकार अपने ही सहयोगियों से घिरती नज़र आ रही है। केंद्र की यूपीए सरकार की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी पर नाराजगी जाहिर की है। यूपीए की एक अन्य सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी पेट्रोल के दाम बढ़ने से नाराज है। पार्टी प्रधानमंत्री के सामने यह मुद्दा उठाएगी।
दूसरी तरफ, केंद्र सरकार भी यह मान रही है कि पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी का सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि तेल का दाम बढ़ने से महंगाई के आंकड़े में बढ़ोतरी होगी। लेकिन उन्होंने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए। पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने कहा कि पेट्रोल के दाम अब सरकार के नियंत्रण में नहीं है। उनके मुताबिक इस मामले में सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। सरकार के सहयोगियों को तेल के दामों में बढ़ोत्तरी पर अंधेरे में रखने के सवाल पर मुखर्जी ने कहा कि सरकार में भी किसी को तेल के दामों के बढ़ने के बारे में जानकारी नहीं थी। प्रणब ने कहा कि तेल के दाम तेल कंपनियां बढ़ा रहीं हैं, सरकार नहीं। इसलिए सरकार को इस बारे में जानकारी नहीं थी।
उधर, कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक में इस मुद्दे पर पार्टी के सांसदों ने नाराजगी जाहिर की। बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि पेट्रोल की कीमत बढ़ाने का कदम गरीब और आम आदमी के हित के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह की बढ़ोतरी से पहले कैबिनेट को जानकारी दे और उनसे सहमति ले। बंदोपाध्याय ने यह भी कहा कि पिछली बार भी कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना ही पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए थे। उन्होंने कहा कि पार्टी के सांसद अपनी नेता ममता बनर्जी से इस मुद्दे पर मुलाकात करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे।
पेट्रोल के दाम में ताज़ा बढ़ोतरी तब की गई है जब तेल कंपनियां पिछले कुछ दिनों से प्रति लीटर 25 पैसे का मुनाफा कमा रही हैं। पिछले साल जून में सरकार के नियंत्रण से मुक्त होने के बाद तेल कंपनियां अब तक 43 फीसदी दाम बढ़ा चुकी है। जून में बढ़ोत्तरी से पहले पेट्रोल का भाव 47.93 रुपए प्रति लीटर था। तब से लेकर अब तक पेट्रोल 20.75 रुपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है। 17 महीने में 11 बार पेट्रोल के दाम बढ़ चुके हैं (पिछले कुछ समय में कितनी बार, कब और कितनी बढ़ी है कीमत, रिलेटेड आर्टिकल में पढ़ें)। और तो और, सरकार ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं कि पेट्रोल की कीमतों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
सरकार के सहयोगियों के अलावा विपक्षी दलों ने भी पेट्रोल की कीमतें बढ़ने पर सरकार को निशाने पर लिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा है कि महंगाई से गरीब लोगों का सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी सरकार के 'कुप्रबंधन' का नतीजा है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा महंगाई की दर 12 फीसदी को पार कर गई और उस हालत में तेल का दाम बढ़ाना आम आदमी पर दोहरी मार है। पेट्रोल के दाम बढ़ने के लिए यूपीए सरकार, पीएम मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जिम्मेदार हैं।
जाने माने उद्योगपति और राज्यसभा सदस्य विजय माल्या ने भी बढ़ती कीमतों पर अपनी राय जाहिर की है। माल्या ने ट्विट किया है, ‘कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपये के दाम गिरने के बाद पेट्रोल की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं जबकि राज्य सरकारें बिक्री कर के तौर पर सरकारी खजाना भर रही हैं। क्या यह सही हैं?’ माल्या आगे कहते हैं, ‘इससे बुरा क्या हो सकता है? अतंरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ने या दिवालिया सरकार की वजह से पेट्रोल की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से हमारी अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ रहा है। चारों ओर महंगाई बढ़ रही है क्योंकि किसी न किसी तरह हम तेल उत्पादों पर भी निर्भर हैं।’
पेट्रोल की कीमतें बढ़ाने के खिलाफ लोगों का भी गुस्सा बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कीमतें बढ़ाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने अपनी मोटरसाइकिलें कूड़े-कचरे के ढेर पर फेंक दी।
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