इस्लाम धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। हर इस्लाम पर्व जीवन प्रबंधन से जुड़े संदेश देता है। इस्लाम में एक वर्ष में दो ईद मनाई जाती है। एक ईद जिसे मीठी ईद कहा जाता है और दूसरी है बकरीद। बकरीद कुर्बानी का पैगाम देता है। इस बार बकरीद 7 नवंबर, सोमवार को है। बकरीद से जुड़ी एक कथा भी प्रचलित है जो इस प्रकार है-
ऐसा माना जाता है कि पैगम्बर हजरत को अल्लाह ने हुक्म दिया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को मेरे लिए कुर्बान कर दो। पैगंबर साहब को अपना इकलौता बेटा इस्माइल सबसे अधिक प्रिय था। खुदा के हुक्म के अनुसार उन्होंने अपने प्रिय इस्माइल को कुर्बान करने का मन बना लिया।
इस बात से इस्माइल भी खुश था वह अल्लाह की राह में कुर्बान होगा। बकरीद के दिन ही जब कुर्बानी का समय आया तब इस्माइल की जगह एक दुम्बा कुर्बान हो गया। अल्लाह ने इस्माइल को बचा लिया और पैगंबर साहब की कुर्बानी कबुल कर ली। तभी से हर साल पैगंबर साहब द्वारा दी गई कुर्बानी की याद में बकरीद मनाई जाती है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 नवंबर 2011
बकरीद 7 को, कुर्बानी का पैगाम देता है यह पर्व
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)