हालांकि नुकसान से बचने के लिए चूहों को घरों व दुकानों में भगाने या मारने की कार्रवाई आम है, परंतु उनके शवों के साथ क्रूर मजाक करने की यह अजीबोगरीब घटना है। इतनी बड़ी तादाद में मरे चूहे देख धर्म व जीव प्रेमियों की भावनाएं आहत हुई हैं, वहीं स्कूल जा रहे बच्चे व महिलाएं चूहों को टंगे देखकर खौफजदा हो गए। वैसे भी जिस नुक्कड़ पर इन्हें टांगा गया, उसके नजदीक प्राचीन श्री हनुमान मंदिर, माता बाला सुंदरी मंदिर, जैन स्थानक व मीरा मल्ली पीर मजार हैं। अंधविश्वास में आस्था रखने वाले लोग इसे टोना टोटका मान रहे हैं।
पौ फटते ही लटके चूहों को देखने के लिए लोगों का तांता लगने लगा। कई राहगीरों के गले में ये चूहे फंदा बनकर फंसे। मयंक वैष्णव के अनुसार वे करीब पांच बजे गली में गाड़ी साफ करने के लिए निकले तो अंधेरे में लटके चूहे उनके चेहरे से टकराए। वे इन्हें चमगादड़ समझकर दहल गए। उनकी बाजू का झटका लगने से तार ढीली हो गई और चूहे और नीचे लटकने लगे।
स्कूल जा रही जान्हवी व रिपुल तो क्या, उनकी माताएं भी गली पार करने का हौसला नहीं जुटा सकीं। जिन घरों की दीवारों पर मरे हुए चूहों को टांगा गया, उनके मालिकों में प्रमोद शर्मा, डॉ. जगदेव, जय गोपाल वर्मा का कहना है कि यह अकारण खौफ फैलाने के लिए की गई शरारत है। उन चूहों को जहर देकर मारा गया है। इस शरारत से लोग नाखुश नजर आए। करीब साढ़े छह बजे सीढ़ी लगाकर लोगों ने ऊपर टंगे चूहों के शव उतारकर उन्हें सफाई कर्मचारियों को सौंप दिया
कहां से कौन लाया होगा..
कहने को यह किसी खुराफाती दिमाग की शरारत भर है, परंतु उसने यह काम अकेले नहीं किया। सर्वविदित है कि इतनी तादाद में चूहे जरूर किसी हलवाई, किराना समेत खाद्य पदार्थो के गोदाम में मारे गए। जहर देकर मारे गए चूहों को एकत्रकर उन्हें बांधने से लेकर गली में टांगने तक शरारती तत्वों ने काफी एहतियात से घंटों जाया किए होंगे। इन मरे चूहों के पैर बांधने के लिए टुकड़ों में करीब दस मीटर बिजली तार का इस्तेमाल किया गया।
इतना ही नहीं, अंधेरे में करीब दस से 12 फीट ऊंचाई पर बिजली, टेलीफोन व एंगल से इन्हें बांधा गया जिसमें सीढ़ी की मदद ली गई। सुबह तार खोलने में भी आठ फीट लंबी सीढ़ी का इस्तेमाल किया गया। लोगों को संदेह है कि इसके पीछे किसी मोहल्ले के बाशिंदे का ही हाथ है। सीढ़ी की मदद से तीन जगह तार बांधने का हौसला अजनबी नहीं कर सकता।
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