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29 अक्तूबर 2011

आग का गोला बना टेंकर,ड्राइवर की सूझबूझ से टल गया हादसा

जोधपुर.रातानाडा में शनिवार को बीपीसीएल के नमन फ्यूल सेंटर पर पेट्रोल खाली करते समय टैंकर ने आग पकड़ ली। हालांकि, चालक लक्ष्मण की सूझबूझ और तत्परता से बड़ा हादसा टल गया। लक्ष्मण लपटों में घिरे टैंकर को लेकर चामी पोलो मैदान की ओर दौड़ाता ले गया, लेकिन रास्ते में टायर फट गए। इसके बावजूद वह टैंकर को करीब एक किमी. दूर गौरव पथ पर सुनसान जगह पर ले जाने में सफल हो गया।

चंद सैकंड में आग का गोला

आग तब लगी जब पेट्रोल खाली करने से पहले बाल्टी में सैंपल लिया जा रहा था। बाल्टी से आग टैंकर के वॉल्व तक पहुंच गई। पास ही बड़ा मार्केट, एक अन्य पंप और इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। जोधपुर में 26 अप्रैल को भी ऐसी ही घटना हुई थी। तब चालक निसार खां टैंकर को सूनी जगह ले गया था। उसे सम्मानित किया गया था।

हादसे का प्रारंभिक कारण मानवीय भूल

बीपीसीएल के मैनेजर सेल्स (रिटेल) अनिलेश कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि पेट्रोल पंप पर पेट्रोल की क्वालिटी कंट्रोल की जांच करते समय अचानक आग लगी। इस प्रक्रिया में पेट्रोल टैंक में एल्यूमीनियम की बाल्टी, जिस पर सुरक्षा की दृष्टि से अर्थिग भी लगा होता है, जांच करते वक्त इसका सही उपयोग भी किया गया, लेकिन किसी मानवीय भूल से यह हादसा हो गया। हालांकि उनका कहना है कि आग लगने के कारणों का खुलासा विस्तृत जांच के बाद ही हो पाएगा। पेट्रोल पंप संचालक राजेश गुलेच्छा का दावा है कि पंप पर सेफ्टी के हिसाब से 80 किलो पाउडर मौजूद था। आग लगने के बाद मौजूद कर्मचारियों ने तत्परता से इसका उपयोग किया। चालक ने भी सुझबूझ दिखाई।

6 करोड़ की दमकल भी बेकार

सच्चाई: कोई नहीं जानता चलाना, ब्लैकलिस्टेड की तैयारी

आग की बड़ी घटनाओं पर काबू पाने के लिए मंगवाई छह करोड़ की एरियल हाइड्रोलिक लैडर प्लेटफॉर्म (स्नार्कल लैडर) नाकारा बनी हुई है। निगम की इस नई लैडर प्लेटफॉर्म को न तो कोई चला सकता है और न ही कोई इसे संचालित करना जानता है। चीफ फायर ऑफिसर सुरेशचंद्र थानवी का कहना है कि इसका संचालन करने वाली दिल्ली की ठेका फर्म को ब्लैकलिस्ट करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है।

मशीन चल भी जाए तो पानी नहीं

लैडर की क्षमता प्रति मिनट 6 हजार लीटर पानी भरने की है, जिसकी शहर के समीप कोई व्यवस्था नहीं है।

सवालों में व्यवस्था

पंद्रह मंजिल तक की बिल्डिंग में आग पर तत्काल काबू पाने के लिए लगभग चार माह पहले फिनलैंड से स्नार्कल लैडर मंगवाई गई। इस अवधि में दो-तीन जगह बहुमंजिला इमारतों आग लग चुकी है, लेकिन इसका फायदा नहीं मिला।

शहर बढ़ा, नहीं बढ़े दमकलकर्मी

सच्चाई: संविदा पर लगे हैं कर्मचारी, प्रशिक्षित भी नहीं

जिस रफ्तार से शहर बढ़ता रहा, उसके मुकाबले दमकल शाखा के स्टाफ में बढ़ोतरी की बजाय निरंतर कमी होती जा रही है। केंद्र सरकार की स्टैंडिंग फायर एडवाइजरी काउंसिल ने जोधपुर को अग्नि हादसों के लिए लिहाज से हैवी रिस्की जोन में शामिल कर रखा है, जिसके तहत काउंसिल की ओर से शहर में 12 फायर टेंडर्स की सिफारिश की जा चुकी है। कर्मचारी भी संविदा पर लगे हैं। उनके पास संसाधन भी कम है।

नहीं है मैनपॉवर

निगम के अधीन 12 दमकलें हैं। दो खराब हो चुकी हैं। 252 कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन सभी कर्मचारियों को मिलाकर सिर्फ 50-55 कर्मचारी ही हैं। स्वीकृत पद भी केवल 64 हैं।

मंडोर फायर स्टेशन ठेके पर

फायरमैन की कमी से जूझ रहे निगम प्रशासन ने मंडोर फायर स्टेशन को संचालित करने का काम ठेके पर सौंप रखा है। यह काम मरुधरा सिक्यूरिटी संभाल रही है। तीन पारियों में चल रहे फायर स्टेशन पर 24 ठेका कर्मचारी तैनात हैं।

आग छोड़ गई सुलगते सवा

छह महीने में पेट्रोल पंप पर टैंकर में आग लगने की यह दूसरी घटना है। चालक की सूझबूझ से हादसा तो टल गया, लेकिन यह आग सुलगते सवाल छोड़ गई। आखिर ऐसी घटनाएं बार बार क्यों हो रही हैं? दो घंटे तक आग को काबू में क्यों नहीं किया जा सका? बासनी स्टेशन पर दो दमकलें खड़ी कैसे रह गईं?

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