अपने इस अनोखे सफर में उन्होंने कई बार मौत का सामना किया और ताजमहल या फिर गीजा के पिरामिड्स जैसे आश्चर्य देखे। 57 वर्षीया लिंडा कहती हैं इतनी अनजानी जगहों के सफर के बाद भी वे अगली उड़ान के लिए बेताब हैं। वे अब तक 1320 गैलन ईंधन खर्च कर चुके हंै, जिसकी कीमत 12 हजार पाउंड है।
पैट्रिक ने 1991 में प्लेन बनाना शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने नासा के इंजीनियर बर्ट रूटन द्वारा लिखी गई एक किताब खरीदी थी। फिर उन्होंने अपने हाथों से इसकी बॉडी को आकार दिया और पाट्र्स फिट किए। प्लेन का इंजन न्यूयॉर्क से मंगवाया गया था।
इस कीमत में वे प्लेन खरीद भी सकते थे, लेकिन उन्होंने प्लेन बनाने में वक्त और पैसा लगाया। 2007 में उन्होंने इस 16.7 फीट के प्लेन से कम दूरी की उड़ानें भरना शुरू किया। फिर 18 महीने की प्लानिंग के बाद सितंबर 2010 में वे दुनिया की सैर पर निकले। 57 वर्षीय पैट्रिक बताते हैं कि वे पिछले महीने ही घर लौटे हैं।
इस दौरान उन्होंने 37 हजार 398 मील का सफर किया, जिसमें उन्हें 241 घंटे और 22 मिनट का वक्त लगा। इस दौरान उनकी औसत स्पीड 155 मील प्रतिघंटा रही और उन्होंने 6500 फीट ऊंचाई तक उड़ान भरी। अब वे उत्तर से दक्षिण अफ्रीका जाना चाहते हैं। इसके बाद वे ध्रुव से ध्रुव का दौरा भी करेंगे।
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