हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि का पर्व नौ दिन का होता है लेकिन तिथि क्षय के कारण कई बार उत्सव के दिन कम भी हो जाते हैं। इस बार पंचमी व षष्ठी तिथि एक ही दिन यानी 2 अक्टूबर, रविवार को पड़ रही है। यह एक अद्भुत संयोग है। इस वर्ष से करीब सात साल पहले ऐसा योग बना था अब 2011 के बाद 2021 में आठ दिनों की नवरात्रि रहेगी। अत: इसी दिन दोनों तिथियों की प्रमुख माताओं (स्कंदमाता व कात्यायनी) का पूजन किया जाना विधि सम्मत है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जानते हैं। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती है।
इसी प्रकार नवरात्रि की षष्ठी तिथि की प्रमुख देवी कात्यायनी हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।
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