तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 अक्तूबर 2011
पत्रकारों की खरीद फरोख्त और फिर बिक्री .........
जी हाँ दोस्तों भाजपा जो भ्रष्टाचार के खिलाफ खुद को साबित करना चाहती है जो भ्रष्टाचार और लोकपाल मामले में अन्ना का समर्थन करती है वही भाजपा अपने मंत्री और सांसदों के सामने कथित भावी प्रधानमन्त्री की रथयात्रा के पक्ष में खबरें छापने के लियें पत्रकारों को रिश्वत देती हुई रंगे हाथों पकड़ी जा रही हैं ...............भाजपा और नेता सभी पत्रकारों के माजने जानते हैं और यही वजह हे के देश में राजनितिक तोर पर किये गये बढ़े बढ़े अपराध अख़बार ढक कर रखते हैं और नेता जनता का खून चूसते रहते हैं अफसरों का भी यही हाल है अख़बारों को टुकडा डालो और देश को लूट लो ...............लेकिन इस बार सतना में रूपये बाँट रही भाजपा के नेताओं के इस कारनामे को कुछ आदर्शवादी पत्रकारों ने गम्भीरता से लिया और हालात यह रहे के बात निकल कर बाहर आ गयी ..दोस्तों में भी कई वर्षों से पत्रकारिता से जुडा रहा हूँ पत्रकारिता की उंच नीच और खरीद फरोख्त से खूब वाकिफ हूँ ..कोई भी अधिकारी कोई भी नेता केसे पत्रकारों को प्रभावित करता है या पत्रकार ऐसे लोगों को केसे प्रभावित करने के लियें मजबूर कर देते है मेने नजदीक से देखा है में हर दम प्रेस कोंफ्रेंस में शराब पार्टियों और फिर गिफ्ट संस्क्रती के खिलाफ रहा हूँ बड़े नेता तो हर साल होली दीपावली पर विशिष्ठ पत्रकारों के घरों पर लाखों के गिफ्ट बांटते हैं ताकि उनके कच्चे चिट्ठे छुपे रहे...नेता चुनाव लड़ता है तो करोड़ों का बजट केवल अख़बार के लियें अलग निकाल कर रख देता है व्यवसाय करने वाला कोई भी व्यक्ति चालीस फीसदी बजट पत्रकारों के लियें इसीलियें अलग से निकालता है के बाद में शहर में वोह अगर जनता को लूटे तो उसके खिलाफ कोई खबर नहीं छपे कोचिंग हो अस्पताल हों चाहे जो भी हों अगर इन लोगों के यहाँ छापे भी पढ़ते हैं तो अख़बार इन संस्थानों का नाम नहीं देकर केवल एक संस्था लिखकर एक लाइन की खबर बना कर खुद को निष्पक्ष पत्रकार कहने का सोभाग्य प्राप्त करते हैं ..अभी हाल ही में यह गंदगी ब्लोगिंग की दुनिया में भी आने लगी है विज्ञापन और निजी प्रचार के लियें ब्लोगिग्न शुरू कर दी गयी है और लाभ के लियें प्रभावित हो रही है ...........प्रेस कोंसिल के नये अध्यक्ष मार्कड काटजू ने तो साफ़ तोर पर पत्रकारों में से कई पत्रकारों पर रूपये लेकर खबरे छपने नेताओं से पैकेज लेकर उनका चुनावी महिमा मंडन करने के सुबूत सहित रिपोर्ट पेश की है ..हाल ही में प्रेस कोंसिल और चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है के पत्रकार काफी हद तक पेड न्यूज़ छाप कर चुनाव को प्रभावित करते हैं और इसीलियें उत्तर प्रदेश के उप चुनाव में पहले से ही पत्रकारिता और नेतागिरी की इस सांठ गाँठ पर अंकुश लगाने के बारे में रणनीति तय्यार की है यह सर्वविदित है के पत्रकार थोड़े से लालच में नेताओं की वोह छवि जनता के सामने पेश करते हैं जो वोह नहीं होते हैं और जो उनके काले कच्चे चिट्ठे होते हैं उन्हें थोड़े लालच के चक्कर में ढक देते हैं नतीजन जनता भ्रमित होती है और सही नेता का चयन नहीं हो पाता बाद में जनता पांच साल रोती है यही हाल देश में सरकारी दफ्तरों उनकी योजनाओं की क्रियान्विति को लेकर गोस्पिंग पत्रकारिता पर विज्ञापित पत्रकारिता के कारण हो रहा है एक टी वी चेनल तो नेता अगर बुखार में हो ..नये कपड़े सिलवाये ..ज़ुकाम हो जाए या फिर कहीं गलती से कोई अच्छा काम हो जाए तो उसे प्रमुखता से टेलीकास्ट करता है और में शर्मसार से यह सब देखता हूँ भला हो उन चुनिन्दा पत्रकारों का जिनकी वजह से खरीद फरोख्त के खिलाफ आवाज़ उठी है और जल्द इस गंदगी को साफ़ करने की दिशा में प्रेस कोंसिल कोई ना कोई तो कदम उठाएगी लेकिन इसके लियें पत्रकारिता से जुड़े लोगों के जमीर को भी राष्ट्रहित में जगाने की जरूरत है ............काश ऐसा हो जाए के पत्रकारिता देश की निष्पक्ष और तेज़ तर्रार निर्भीक तीसरी आँख हो जाए तो देश सुधार जाए .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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