वाशिंग्टन. 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद भारत ने अमेरीकी दवाब के आगे न झुकते हुए अपनी पश्चिमी सीमा पर परमाणु मिसाइल तैनात कर दी थी। इसे लेकर व्हाइट हाउस में भी तनाव की स्थिति बन गई थी। यह खुलासा अमेरिका की गत सुरक्षा सलाहकार कोंडोलीजा राइस ने अपनी नई किताब 'नो हायर ऑनर' में किया है।
राइस ने लिखा कि दिसंबर 2001 में सीआईए (केंद्रीय जांच एजेंसी) और पेंटागन के बीच दक्षिण एशिया को लेकर मतभेदों के कारण व्हाइट हाउस में भी तनाव बढ़ गया था। राइस के अनुसार सीआईए अमेरिका को यह चेतावनी दे रहा था कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहा है जबकि पेंटागन का मत था कि ऐसा नहीं है। राइस उस समय राष्ट्रपति जार्ज बुश की सुरक्षा सलाहकार थी।
राइस ने स्पष्ट रूप से यह भी लिखा कि वास्तव में सीआईए पाकिस्तान की भाषा बोल रहा था जो दुनिया को यह विश्वास दिलाना चाहता था कि भारत पाक पर हमला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सीआईए के मुताबिक उस वक्त दोनों देशों के बीच युद्धा टालना असंभव था क्योंकि भारत पाकिस्तान को सबक सिखाने का मन बना चुका था। इस मामले पर इस्लामाबाद की भी राय यही थी। अपनी किताब में राइस ने यह भी लिखा है कि 2001 में सीआईए जानकारियों के लिए पूरी तरह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों पर निर्भर था।
बुश के आठ साल के शासन के दौरान उनकी सुरक्ष सलाहकार और अमेरिका की विदेश मंत्री रहीं राइस लिखती हैं, दक्षिण एशिया में बदल रहे माहौल का पेंटागन और सीआईए विपरीत विश्लेषण दे रहे थे। पेंटागन का कहना था कि सेना का जमावड़ा यह नहीं दर्शाता की भारत हमले के लिए तैयार है जबकि सीआईए इसके विपरीत था।
राइस ने यह भी लिखा कि भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बदल रहे घटनाक्रम को लेकर राष्ट्रपति और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद निराश हो गए थे। दोनों देशों के बीच तनाव को कम होता न देख अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर रणनीति तैयार की और कई हाई प्रोफाइल लोगों को भारत और पाकिस्तान के दौरे पर भेजने का फैसला किया। रणनीति यह थी कि अमेरिका और ब्रिटेन के उच्च अधिकारियों के देश में होने के कारण दोनों देशों के बीच का तनाव कुछ कम होगा। खासकर कोई भी देश हमला तो नहीं करेगा।
उस वक्त के अमेरिकी विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल और ब्रिटिश विदेश मंत्री जैक स्ट्रा ने दोनों देशों में अधिक से अधिक दूत भेजने की रणनीति तैयार की। हमारा अनुमान था कि हाई प्रोफाइल विदेशी मेहमानों की मौजूदगी में कोई भी देश युद्ध शुरु नहीं करेगा। हर बार जब भारत या पाकिस्तान निमंत्रण स्वीकार कर लेते थे तो हम राहत की सांस लेते थे। हमे माहौल को समझने के लिए थोड़ा और वक्त मिल जाता था। लेकिन ऐसी रिपोर्टों लगातार मिल रही थी कि भारत सीमा के नजदीक सैन्य जमावड़ा कर रहा है। 23 दिसंबर की रिपोर्ट ने सबसे ज्यादा परेशान किया। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत अपनी पश्चिमी सीमा पर परमाणु से लैस मिसाइले तैनात कर रहा है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 अक्तूबर 2011
भारत ने अमेरिका की भी कर दी थी अनदेखी, पाक की ओर तैनात की थीं परमाणु मिसाइलें!
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