नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटे को 'गलत धार्मिक परम्परा' बताते हुए मंगलवार को कहा कि वह 2012 के लिए हज नीति निर्धारित करेगा।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने हर वर्ष मक्का जाने वाले हज यात्रियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को लेकर चिंता व्यक्त की।
हज यात्रा के लिए सरकारी कोटे पर आपत्ति जताते हुए न्यायालय ने कहा, "हो सकता है इसका कोई राजनीतिक उपयोग हो, लेकिन यह एक बुरी धार्मिक परम्परा है। वाकई में यह हज नहीं है।"
सर्वोच्च न्यायालय, बम्बई उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2011 के उस आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 800 हज यात्रियों का कोटा निजी ऑपरेटरों को देने का आदेश दिया गया था, ताकि यह बेकार न होने पाए।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 अक्टूबर 2011
हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटे 'गलत धार्मिक परम्परा'
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