नई दिल्ली. पड़ोसी पाकिस्तान और चीन से मिल रही गंभीर चुनौतियों के बीच भारतीय सेना के लिए एक चिंता में डालने वाली खबर है। सेना ने सरकार को औपचारिक खत लिखकर कहा है कि जंग के लिए रिजर्व इसके कुछ हथियार खत्म होने के कगार पर है। सेना का कहना है कि उसके पास ऐसे हथियारों का जखीरा इतना कम हो गया है कि चिंता की बात है।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने 'दैनिक भास्कर डॉट कॉम' से बातचीत में कहा कि रक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा रास्ता खरीदी प्रक्रिया के जरिए खुलता है। खरीद की प्रक्रिया को नेता गलत ढंग से प्रभावित करते हैं। खरीद प्रक्रिया में स्वतंत्र एजेंसी की निगरानी का अभाव है। उन्होंने ताजा हालात के लिए मौजूदा सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया।
एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने कुछ मामलों में आपात खरीदारी शुरू कर दी है और इसमें ऑफसेट पॉलिसी को नजरअंदाज कर दिया गया है। इस पॉलिसी के तहत 300 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी पर कंपनी को भारत में 30 फीसदी का पुनर्निवेश करना जरूरी होता है।
ताजा मामला टैंकों के गोले की कमी से जुड़ा है। माना जा रहा है कि सेना ने सरकार को लिखे खत में कहा है कि इसे करीब 66 हजार गोलों की तत्काल जरूरत है। इसी तरह सेना के रॉकेट लॉन्चर से जुड़े हथियारों की तत्काल जरूरत है।
टैंक के गोलों के लिए भारत का इजराइल से लंबे समय से करार था लेकिन इजराइल मिलिट्री इंडस्ट्रीज को अब ‘काली सूची’ में डाल दिया गया है और इसकी जांच सीबीआई कर रही है। ऐसे में भारतीय सेना को नए सप्लायर की जरूरत पड़ रही है।
ऐसी खबर है कि रूस की एक कंपनी इन हथियारों की सप्लाई के लिए आगे आई है लेकिन उसने सामान्य से करीब 400 फीसदी अधिक पर कीमत लगाई है जो 1000 हजार करोड़ से ऊपर चली जा रही है। रूस की इस कंपनी ने 30 फीसदी की शर्त वाली ऑफसेट पॉलिसी को भी मानने से इनकार किया है। मजबूरन सरकार को रूसी कंपनी के साथ करार के लिए इस पॉलिसी की शर्त हटानी पड़ी है। रक्षा मंत्री ए के एंटनी इस वक्त रूस दौरे पर हैं। उम्मीद है कि वो रूसी सरकार के सामने ऊंची कीमत का मसला उठाएं।
इसी तरह के एक मामले में सरकार ने ‘बाई-मोड्यूलर चार्ज’ सिस्टम की तत्काल खरीद के लिए टेंडर निकालने की तैयारी की है। इस सिस्टम के बगैर 130 मिमी के तोप 18 से 23 किमी तक ही मार कर सकते हैं जो इनकी वास्तविक रेंज 38-40 किमी का आधा है। बीएमसी सिस्टम बिहार के नालंदा में स्थापित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनाए जाने थे लेकिन आईएमआई और दक्षिण अफ्रीकी कंपनी सोमटेक के ‘ब्लैक लिस्ट’ होने से यह फैक्ट्री उत्पादन शुरू नहीं कर पाई।
वायुसेना में शामिल होंगे 214 आधुनिक लड़ाकू विमान
सामरिक मोर्चे पर लगातार बढ़ रही चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना ने कमर कसनी शुरू कर दी है। न्योमा एयर बेस और करगिल एयर बेस के विस्तार के ऐलान के बाद वर्ष 2017 तक वायुसेना पांचवीं पीढ़ी के 214 आधुनिक लड़ाकू विमान शामिल किए जाएंगे। ये विमान ट्विन सीटर होंगे, जिनका निर्माण भारत रूस के साथ मिलकर करेगा। इस परियोजना की समीक्षा मॉस्को में भारतीय रक्षामंत्री ए.के.एंटनी रूसी रक्षामंत्री के साथ करेंगे। एयर चीफ मार्शल एके ब्राउन ने कहा है कि वर्ष 2012 से डिजाइन चरण पर बातचीत से इस परियोजना की शुरुआत होगी
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