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17 अक्तूबर 2011

सीबीआई के सामने पेश नहीं हो पाएंगे 'बीमार' मदेरणा




जयपुर. जोधपुर की नर्स भंवरी देवी अपहरण मामले में राजस्थान हाई कोर्ट की ओर से सख्त रवैया अपनाए जाने के बाद जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आग्रह पर राज्यपाल शिवराज वी. पाटिल ने रविवार को मदेरणा को हटाए जाने के फैसले पर मुहर लगा दी। इस बीच, मामले की जांच कर रही सीबीआई ने आज पूर्व मंत्री मदेरणा को जोधपुर में पूछताछ के लिए बुलाया है, लेकिन मदेरणा का कहना है कि वह बीमार हैं, इसलिए वह सीबीआई के सामने पेश नहीं हो सकते हैं।

मदेरणा को मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बारे में राज्य सरकार को रविवार शाम को ही सूचित भी कर दिया गया। इसके बाद मदेरणा ने अपने निवास पर मीडिया के सामने इस्तीफा देने की घोषणा की। मदेरणा का कार्यभार अब उद्योग मंत्री राजेन्द्र पारीक को सौंपा गया है।

इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मदेरणा से इस्तीफा देने को कहा था। मदेरणा के इनकार करने के बाद गहलोत ने उन्हें हटाने का फैसला किया। डेढ़ माह पहले भंवरी के गायब होने के मामले में मदेरणा का नाम पहले दिन से ही आ रहा था। बाद में कोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ पुलिस में भी मामला दर्ज किया गया।

विवादों के बाद हटने वाले दूसरे मंत्री
विवादों में आने के बाद मंत्रिमंडल से हटने वाले महिपाल मदेरणा दूसरे मंत्री हैं। इससे पहले राष्ट्रपति पर अपमानजनक टिप्पणी के कारण वक्फ राज्यमंत्री अमीन खां को भी इस्तीफा देना पड़ा था।

धारीवाल से छिन सकता है गृह विभाग
अब गोपालगढ़ फायरिंग मामले में गृहमंत्री शांति धारीवाल से गृह विभाग छीने जाने के लिए भी दबाव बन गया है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी के गुपचुप दौरे के बाद से ही धारीवाल को गृह विभाग से हटाए जाने का दबाव बन रहा है। अब माना जा रहा है कि धारीवाल से गृह विभाग लिया जाना तय है।

मंत्रिमंडल फेरबदल का दबाव बढ़ा
मदेरणा की बर्खास्तगी के बाद अब राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए मुख्यमंत्री पर दबाव बढ़ गया है। मंत्रिमंडल में अभी 4 मंत्रियों की जगह खाली है। इस समय मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत 13 कैबिनेट और 13 राज्यमंत्री रह गए हैं।

इससे पहले राजनीतिक नियुक्तियां भी की जा सकती हैं। मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें काफी समय से चल रही थीं, लेकिन अब माना जा रहा है कि गहलोत जल्दी ही फेरबदल कर सकते हैं।

राजनीतिक मायने और असर क्या?

गहलोत की सख्त छवि बनाने की कवायद
अभी तक गहलोत को जातिगत समीकरणों के दबाव में सख्त फैसले नहीं लेने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जाता था लेकिन मदेरणा को हटाने के बाद समर्थक उनको कड़े फैसले लेने की क्षमता वाले नेता के तौर पर पेश करेंगे।

सरकार को राहत
भंवरी देवी प्रकरण में सरकार पर दबाव कम होगा, अब अकेले मदेरणा पर ही दबाव रहेगा। इस मामले में हाईकोर्ट हर दूसरे दिन सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने गहलोत सरकार को अब तक की सबसे कमजोर सरकार तक कह दिया है।

मारवाड़ का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व कम
मंत्रिमंडल में मारवाड़ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कम हो गया है। पहले हटाए गए अमीन खान भी इसी क्षेत्र से आते हैं। अब मारवाड़ क्षेत्र से मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी और पर्यटन मंत्री बीना काक ही रह गए हैं।

जातीय ध्रुवीकरण
इस फैसले के बाद जातीय ध्रुवीकरण के आसार बढ़ गए हैं और मदेरणा को इससे खुद की जाति में सहानुभूति मिल सकती है। मदेरणा इस प्रकरण को अपनी जाति में खुद के साथ हुए अन्याय के तौर पर पेश करने की कोशिश करेंगे।

ये मंत्री भी रहे हैं विवादों में
>गृहमंत्री शांति धारीवाल को गोपालगढ़ फायरिंग मामले में कांग्रेस की जांच कमेटी ने दोषी मानकर हटाने की सिफारिश की है।
>शिक्षा मंत्री भंवरलाल शिक्षकों के तबादलों को लेकर विवादित बयान देते रहे हैं।
>खाद्य राज्यमंत्री बाबूलाल नागर आटा पिसाई मामले में भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में रहे हैं। एसीबी जांच कर चुकी है। शिकायतकर्ता से मारपीट का भी मामला।
>कृषि राज्यमंत्री भरोसीलाल जाटव पर अपने बेटे को बीज की एजेंसी दिलाने और हिंडौन में अवैध खनन कराने का आरोप है। उनके खिलाफ पुलिस में भी मामला दर्ज है।
>वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री रामलाल जाट भीलवाड़ा डेयरी अध्यक्ष की पत्नी की संदिग्ध मौत के बाद बिना पोस्टमार्टम के शव को ले जाने को लेकर विवादों में आ गए थे।

क्या है भंवरी मामला
भंवरी इसी साल 1 सितंबर को बिलाड़ा से लापता हुई। 5 सितंबर को पति अमरचंद ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। जांच सीबीआई को सौंपी। अमरचंद ने मदेरणा पर कथित सीडी को लेकर भंवरी का अपहरण कराने तथा हत्या किए जाने की आशंका जताई। लूणी विधायक मलखानसिंह पर भी आरोप। कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद मुख्यमंत्री ने मदेरणा को हटाने का कदम उठाया।

न्यायोचित रहता, जांच के आधार पर निर्णय होता
"मुझ पर लगाए गए आरोप आधारहीन हैं। न्यायोचित यह रहता कि जांच के आधार पर पार्टी और आप निर्णय करते। फिर भी मैं नैतिकता के आधार पर सरकार व पार्टी के हित में त्यागपत्र दे रहा हूं।"

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