वे सोमवार को डबोक आश्रम में धनतेरस तथा दीपावली पर्व को लेकर साधकों को प्रवचन दे रहे थे। संत ने दीपावली पर मुख्यतया चार प्रकार के काम करने की जरूरत बताई। पहला घर की सफाई, दूसरा नए वस्त्र पहनना, बर्तन आदि खरीदना, तीसरा मिठाई खाना और खिलाना तथा चौथा दीपक जलाकर जग में प्रकाश फैलाना। इनमें चार कार्य और जोड़ दें तो असली दीपावली मनेगी।
उन्होंने दीपावली के चारों कार्यो का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए अपने अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्र्या, द्वेष की सफाई कर बुरे दुर्गुणों को बाहर निकालने की सीख दी और इसे ही सच्ची सफाई बताया।
नए वस्त्र, वस्तु खरीदने का अर्थ है कि अपने जीवन में कुछ नया सद्गुण विकसित करें और बुराइयों को छोड़कर जीवन में नए सत्कर्म, सेवा, साधना का संकल्प लें। मिठाई खाना और खिलाने का अर्थ है कि आप स्वयं आनंद में रहें और दूसरों को आनंद की प्राप्ति में मदद करें। प्रकाश फैलाने का आध्यात्मिक अर्थ यह है कि बाह्य प्रकाश के साथ ज्ञान का प्रकाश भी फैलाएं।
अपने कर्मो को ज्ञान के प्रकाश में देखें। उन्होंने कहा कि हम अपने जीवन के परम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति करें यही ज्ञान का प्रकाश है। उन्होंने भगवान नाम जप की महिमा भी बताई। इससे पूर्व संत का महाराणा प्रताप डबोक हवाई अड्डे पर साधकों ने स्वागत किया। डबोक आश्रम में श्री योग वेदांत सेवा समिति, बाल संस्कार केंद्र, युवा सेवा संघ के कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया।
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