आश्विन मास के शु्क्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी यानी दशहरा पर्व मनाया जाता है। विजयादशमी अर्थात् देवी की विजय का पर्व। यह श्रीराम की रावण पर एवं माता दुर्गा की शुंभ-निशुंभ आदि असुरों पर विजय के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाला पर्व है। परंपरा के अनुसार इसे हम बुराई पर अच्छाई की विजय के पर्व के रूप में मनाते आए हैं। इस बार यह पर्व 6 अक्टूबर, गुरुवार को है।
विजयादशमी शक्ति की उपासना का पर्व है। शक्ति का अर्थ है - बल, सामथ्र्य और पराक्रम। हर व्यक्ति अपनी शक्ति का उपयोग अलग प्रकार से करता है। दुर्जन व्यक्ति ज्ञान का प्रयोग व्यर्थ विवाद या बहस में, धन का उपयोग अहं के दिखावे में, बल का प्रयोग दूसरों को पीड़ा पहुंचाने में करते हैं। इसके विपरीत सदाचारी व्यक्ति अपनी शक्ति का प्रयोग ज्ञान प्राप्ति, दूसरों की सेवा में एवं अपने धन का उपयोग अच्छे कार्यों में करते हैं। इस प्रकार शक्ति इंसान में कर्म, उत्साह और ऊर्जा का संचार करती है इसीलिए इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की रावण पर विजय सत्य की असत्य पर, धर्म की अधर्म पर एवं न्याय की अन्याय पर विजय थी।
भगवान राम ने जगत को संदेश दिया कि दुष्ट और अत्याचारी कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, किंतु शक्ति का दुरुपयोग अंत में उसके ही विनाश का कारण होता है। यह पर्व हमारें मन में विजय का भाव जगाता है एवं अपनी ज्ञान एवं विवेक रूपी शक्तियों का जागरण कर अपने अज्ञान रूपी अंधकार और स्वभाविक विकारों - काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह और मात्सर्य पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 अक्तूबर 2011
विजयादशमी 6 को, मनाएं अन्याय पर न्याय की जीत का पर्व सभी भाइयों को इस अवसर पर बधाई खुदा करे अपने मन का और आसपास का रावण भी जल्दी ही मर जाए
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