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30 सितंबर 2011

पाकिस्‍तान को पल में जवाब दे सकेगा भारत, जोधपुर के आसमान पर दहाड़ेगा सुखोई



जोधपुर. पाकिस्‍तान और चीन से मिल रही चुनौती के मद्देनजर भारतीय वायुसेना शनिवार से बड़ी पहल कर रही है। अब पाकिस्‍तान से सटे जोधपुर (राजस्‍थान) के आसमान पर लड़ाकू विमान सुखोई-30 की दहाड़ सुनने को मिलेगी।

यहां वायुसेना के बेड़े में सुखोई के शामिल होने के साथ ही मार करने की उसकी क्षमता काफी बढ़ जाएगी और अपनी वायुसीमा की सुरक्षा व्‍यवस्‍था भी पुख्‍ता हो जाएगी। भारत-पाक सीमा पर जोधपुर एक प्रमुख एयर बेस है। ऐसे में यहां सुखोई के बेड़े में शामिल होने से जरूरत पड़ने पर भारत मिनटों के भीतर दुश्‍मन के छक्‍के छुड़ा सकता है।

रक्षा प्रवक्ता एसडी गोस्वामी ने दैनिकभास्कर डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि स्क्वाड्रन एक अक्टूबर से ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे। वहीं, वायु सेना के सूत्रों के अनुसार, शनिवार से जोधपुर में 16 एयरक्रॉफ्ट की तैनाती हो जाएगी। पायलट और एयरक्राफ्ट महाराष्ट्र के पुणे से आएंगे।

वायुसेना ने लोहेगावं और बरेली स्थित अपने स्‍टेशनों को सुखोई एमकेआई 30 के लिए स्‍क्‍वाड्रन तैयार करने के बेस के रूप में चुना है। इसी के तहत 31 स्क्वाड्रन ‘द लॉयन’ को लोहेगांव (पुणे) एयरबेस से जोधपुर शिफ्ट किया गया है।


जोधपुर एयरबेस पर अभी लड़ाकू विमान मिग श्रृंखला के चार स्क्वाड्रन तैनात हैं। अब 12 से 18 सुखोई विमान तैनात होने से यहां पांच स्क्वाड्रन हो जाएंगे। जोधपुर एयरबेस से सुखोई-30 मात्र सात मिनट में पाक सीमा तक पहुंच सकता है। वायुसेना सूत्रों के अनुसार यहां अगले साल अपग्रेड सुखोई भी शामिल किए जाएंगे।

चार दशक पुराना स्क्वाड्रन

वायुसेना के स्क्वाड्रन 31 का गठन 1 सितंबर 1963 को पठानकोट में किया गया था। उस समय इसके पास फ्रेंच मिस्ट्री एयरक्राफ्ट थे। इस दौरान 1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसे पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया था।


इसके पास 1973 से 1983 तक मारुत एयरक्राफ्ट थे। इसी प्रकार 1983 से 2003 तक इस स्क्वाड्रन में मिग 23 विमान थे। उसके बाद यह सुखोई विमान की तैयारी में लग गया। अब अक्टूबर 2011 से यह जोधपुर एयरबेस पर सक्रिय हो जाएगा।


एक घंटे में 2450 किमी
इस लड़ाकू विमान की खासियत इसी से समझी जा सकती है कि सुखोई एक घंटे में 2450 किमी तक पहुंच जाता है। देश की पश्चिमी सीमा के लिए यह काफी अहम होगा। एक बार उड़ान भरने के साथ वह आठ हजार किलो तक के हथियार लेकर 5200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है।

सुखोई-30 एमकेआई का लाइसेंस उत्पादन भारत में रूसी सुखोई कंपनी के साथ हुए के करार के आधार पर किया जा रहा है। अगले कुछ सालों में केंद्र सरकार भारतीय वायु सेना को और अधिक सुखोई-30 एमकेआई और हल्‍के लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने के लिए 64 हजार करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा खर्च करेगी। इन विमानों का उत्पादन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करेगा।

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