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06 सितंबर 2011

तिमंजिला मकान ढहा, मां-बेटी की मौत, रोते हुए कटी रात

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जयपुर। चार दिन लगातार बारिश के कारण रामगंज बाजार में सोमवार को करीब ढाई सौ साल पुराना तिमंजिला मकान ढह गया। हादसे में मकान मालिक की पत्नी व बेटी की मौत हो गई। पुलिस व बचाव दल ने करीब ढाई घंटे बाद पहली मंजिल पर मलबे में दबी युवती और रात 11 बजे उसकी मां का शव निकाल लिया। घटनास्थल पर मौजूद लोगों की शिकायत थी कि पुलिस, आपदा प्रबंधन, नगर निगम व अन्य अधिकारियों में तालमेल की कमी के कारण राहत कार्य देर से शुरू हो पाया। देर रात स्पार्किग से दूसरी बिल्डिंग गिरने की अफवाह फैलने के बाद दहशत के कारण लोग रातभर जागते रहे।

हादसा ठाकुर पचेवरजी के रास्ते में मकान नंबर 570 में हुआ। इसके पिछले हिस्से में पदमचंद जैन परिवार के साथ रहते हैं। निजी कंपनी में कार्यरत जैन सुबह नौकरी पर चले गए थे। उनकी पत्नी रानी (50) व बेटी छवि उर्फ आशिमा (20) घर पर थीं। दोपहर करीब पौने 2 बजे तिमंजिला मकान भरभराकर ढह गया। तेज धमाके की आवाज से घबराकर आसपास के लोग घरों से बाहर आए और रामगंज पुलिस को सूचना दी। मकान में मौजूद चार-पांच जनों के दबे होने की सूचना मिलने पर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त बीजू जार्ज जोजफ, नागरिक सुरक्षा के उपनियंत्रक फूलचंद चौधरी, सीएफओ ईश्वर लाल व निगम के कार्यवाहक सीईओ एमपी मीणा मय जाब्ते घटनास्थल पर पहुंचे।

पौने 4 बजे शुरू हुआ राहत कार्य

पड़ोसियों से मलबे में रानी व उनकी बेटी छवि के दबे होने का पता चलने पर दोपहर 3:30 बजे इमरजेंसी रिस्पांस टीम (ईआरटी) के कमांडो बुलाए गए। उन्होंने ह्यूमन डिटेक्टर व वायब्रो स्कोप से मलबे में दबी मां-बेटी के जिंदा होने की संभावना जाहिर की। पौने 4 बजे से नागरिक सुरक्षा व आपदा प्रबंधन के कर्मचारियों ने पहली मंजिल पर मलबा हटाना शुरू किया। कुछ देर बाद मलबे में छवि का शव दिखाई पड़ा। आपदाकर्मियों ने 4.30 बजे शव को मलबे से निकालकर एंबुलेंस से एसएमएस पहुंचाया।

फफक पड़े पदम चंद

हादसे के बाद पड़ोसियों ने मोबाइल फोन पर पदम चंद को घटना की जानकारी दी। वे दोपहर 3:30 बजे घर पहुंचे। बेटी व पत्नी के मलबे में दबे होने का पता चलने पर पदम चंद फफकते हुए बदहवास हो गए। परिजनों ने उन्हें संभाला। उनका बेटा अनुराग गाजियाबाद में एक कंपनी में इंजीनियर है। उसे सूचना दे दी गई है।

अक्सर बालकनी में खड़ी रहती थी

पदम चंद के पड़ोसी दीपक अग्रवाल ने बताया कि रानी जैन व उनकी बेटी छवि अक्सर मकान की बालकनी में खड़ी होकर बातें करती रहती थीं। सोमवार को बारिश होने से दोनों मां-बेटी शायद कमरे में थीं, अगर वे बाहर होतीं तो बच सकती थीं। जिस मकान में पदम चंद रहते हैं, उसी में चार परिवार और रहते हैं। पड़ोसी अनिल चांदवाड़ ने बताया कि छवि व उसकी मां मिलनसार व हंसमुख प्रवृत्ति की थीं।

लगा, बिजली आ गिरी

अनिल के बेटे मनीष ने बताया कि घटना के वक्त वह मकान की तीसरी मंजिल पर कमरे में बैठा था। एकाएक मकान के गिरने पर हुई तेज आवाज सुनकर लगा, मानो कोई बिजली आ गिरी हो। इस पर बाहर आकर देखा, तो धूल का गुबार उठ रहा था।

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