लखनऊ।पूर्वी यूपी में अधिकतर मां-बाप की रातें आंखों में कट जा रही है। मन बैचेन है। डर सता रहा है कि कहीं 'नौकी बीमारी' उनके लाल को न निगल जाए। डर इतना लाडले को छींक भी आ जाए तो कंठ सूख जाता है। ऐसा हो भी क्यों ना। पूरे इलाके में मौत बनकर तांडव मचाने वाली नौकी बीमारी यानी जापानी इंसेफ्लाइटिस ने इस साल अब तक 250 मासूम बच्चों की सांसे छीन ली है। इतने ही करीब अस्पताल में भर्ती हैं। अकेले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में ही 1497 मरीज आ चुके हैं।
अब तक 10 हजार बच्चों की हो चुकी है मौत
पूर्वी उप्र के गोरखपुर और आसपास के जिलों में 1978 से इंसे लाइटिस महामारी के रूप में कहर ढा रही है। इसके सबसे आसान शिकार मासूम बच्चे है। मरने वालों से कई गुना ज्यादा विकलांग और मानसिक बीमारों की संख्या है। सरकारी रिकार्ड में अब तक दस हजार बच्चों की मौतें हो चुकी हैं। जबकि तमाम मरीज ऐसे है जो निजी अस्पतालों में इलाज कराते रहें है जिनका सरकार के पास कोई रिकार्ड नही है।
पिछले 33 सालों में इस बीमारी से मरने वालों का अनुमानित आंकड़ा 25 हजार मौत और लाखों को विकलांग होने का है। इस साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों में लगातार नये मरीज भर्ती हो रहें है। मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने वाले मरीजों की सं या 1230 और मरने वालों की 195 है।
खून से लिखेंगे खत
इंसेफ्लाइटिस उन्मूलन अभियान चला रहें डा. आरएन सिंह ने बताया है कि पूर्वांचल के किसानों के मासूमों को एन्से लाइटिस के क्रूर पंजों से बचाने के लिए एक ‘खून से खत का महाभियान’ चलाने का निर्णय हुआ है। ‘खून से लिखे खत’ देश के प्रधानमंत्री, स्वास्थ्यमंत्री, योजना आयोग, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी व स्थानीय ‘पूर्वांचल’ के संवेदनशील सांसदों को लिखे जायेंगे।
पूर्वांचल के सातों जिलों में एक ही दिन, एक ही समय पर, एक साथ अभियान के सदस्यों, किसानों, प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा स्वरक्त से लोकतंत्र के सबसे प्रभावी हाथियार ‘रक्त पत्र’ का ब्रहास्त्र के रूप में प्रयोग किया जायेगा। उन्होंने कहा कि 33 वषों में किसानों के बच्चों की मौत के बाद पूर्वांचल की जनता एन्से लाइटिस के खिलाफ संघर्ष में खून से खत लोकतंत्र का सबसे प्रभावी हथियार और कवच दोनो है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए चेतावनी है कि लोकतंत्र में खून से खत से बड़ा कोई अस्त्र नहीं हो सकता। एन्से लाइटिस उन्मूलन के लिए खून से खत कोई जूनून नहीं है बल्कि पीड़ा पहुंचाने का तरीका है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 सितंबर 2011
मनमोहन जी...राहुल जी...मौत के क्रूर पंजों से बचा लीजिए इन मासूमों को!
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Akela ji bacche to bhagwan ka rup hoty hai.
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