अपना लक्ष्य पाने के लिए सबसे बड़ी रुकावट मेरा महिला होना था। यही वजह है कि जब मैं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती, तो लोगों को दिक्कत होने लगी, लेकिन मैंने अपनी इच्छाशक्ति से आगे बढ़ते हुए 1995 में अपने ससुराल लक्ष्मणगढ़ से चार-पांच महिलाओं के साथ मिलकर सेल्स हेल्प ग्रुप में काम करना शुरू किया।
इसमें महिलाओं को काम सिखाने के साथ अर्निग के तरीके भी बताए। धीरे-धीरे हमारे साथ कई महिलाएं जुड़ती गईं। इसी का नतीजा है नारी उत्थान संस्थान।
इसमें मैंने महिला शिक्षा पर भी जोर दिया। मेरे संस्थान से जुड़ी लड़कियां एमए बीएड करते हुए सरकारी जॉब के लिए कोशिश कर रही हैं। आज लगभग एक हजार महिलाओं के साथ मिलकर काम कर रही हूं। मैंने सभी को काम सिखाकर विमन एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया है।
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