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06 सितंबर 2011

विक्लिंक्स के असान्जे और पागलखाना ......

देश और विदेश में इन दिनों घर ग्रस्ति और निजी जिंदगी की जोस बनी विक्लिंक्स वेबसाईट ने कई लोगों का जीना हराम कर दिया है होना भी चाहिए वोह उन सब खबरों को उजागर कर रहा है जो मेनेज कर के हमारे देश में रोक लो जाती हैं .पत्रकारिता से जुड़े सभी आप और हम लोग जानते हैं के किस तरह से एक पत्रकार कड़ी महनत के बाद एक खबर निकला कर अख़बार या टी वी चेनल के लियें ले जाता है और फिर वोह अख़बार या टी वी चेनल के मालिक अपने सम्पादक को इशारा कर उस खबर की हत्या करवा देते हैं खबर बनाने वाला और खबर देने वाला तो उस खबर को अख़बार और मीडिया में ढूंढ़ता ही रह जाता है ..............लेकिन विक्लिंक्स अंतर्राष्ट्रीय वेबसाईट ने हमारे भारत देश के उन सम्पादकों और उन अख़बार..चेनल मालिकों के मुंह पर तमाचा जड दिया है जो उन खबरों को आज अपने अख़बारों में अपने टी वी चेनलों में प्रमुखता से दिखने को तय्यार है जो खबरें वोह कभी उनके पास लाने रिपोर्टर का मजाक उड़ा कर कचरे में डाल चुके थे .........दोस्तों भारत में परम्परा है अपना कहे तो कोई नहीं मानता और अगर पराया कहे तो उसकी बात पर जल्दी विशवास किया जाता है हम जानते हैं के हमारा देश किस बात पर भरोसा करेगा और किस बात पर नहीं इसीलियें हम आज विक्लिंक्स जेसे लिंक को देश में ज्यादा हवा दे रहे हैं .........दोस्तों जरा सोचों अगर आज हमारे देश में विक्लिंक्स जो खुलासे कर रहा है उसकी बुनियाद में अगर हम जाएँ तो यह बात तो तय है के विदेश के कुछ लोग हैं जो हमारे देश के कुछ लोगों को शामिल कर हमारे देश के लोगों ख़ास कर विशिष्ठ लोगों की जासूसी कर रहे हैं और यह सब होने के बाद भी हमारा देश सतर्क नहीं है ऐसे अस्टिन में छुपे जासूसों को पकड़ने के देश में कोई प्रयास नहीं हुए हैं ......दूसरी बात देश में आज मानहानि कानून है लेकिन वोह देश वासियों पर ही लागू होना अगर विक्लिंक्स कोई अपमानकारी खुलासा भी करता है तो फिर हमारे देश के लोग उसके खिलाफ कोई भी कार्यवाही कर पाने में सक्षम नहीं हैं लेकिन विक्लिंक्स की खबरें जिस तरह से रिप्रोड्यूस कर मिडिया द्वारा दुबारा परोसी जा रही है उससे इस देश में ऐसे मिडिया कर्मियों को एक दिन उलझना पढ़ेगा और अगर किसी ने ऐसे मीडिया के खिलाफ देश में देश के मानहानिकारक कानून के तहत कार्यवाही कर लो तो बस इन लोगों को दिन में तारे नज़र आ जायेंगे ....यही हाल आजकल ब्लोगिंग का भी है वहां भी कुछ लोग विक्लिंग के किस्से रिप्रोद्युज़ कर रहे हैं जो ठीक नहीं है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. # पराये की जोड़ू ही क्यों हमको भाए ?
    संवर, सज के आये हमें वो लुभाए
    हमारी तो 'भीगी' पसीने हर दम,
    अकेले भी हो तो न वो हाथ आए,

    # हमारे तो 'चश्मे' न कुछ भी दिखाए,
    जो 'LEAK ' होके आये उसे 'चाट' जाए!
    http://aatm-manthan.com

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