नई दिल्ली. टीम अन्ना के जनलोकपाल बिल को स्थायी संसदीय समिति में कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। यह बिल कानून और न्याय मामले की स्थायी समिति के विचाराधीन है। समिति के पास लोकपाल बिल के आठ और मसौदे विचार के लिए हैं। टीम अन्ना की और से तैयार जनलोकपाल बिल में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को लोकपाल के दायरे में लाने का प्रावधान है। ऐसे में जांच एजेंसी इन प्रावधान का विरोध कर सकती है। स्थायी समिति की बैठक सात सितंबर को होगी। इस बैठक के दौरान सीबीआई के शीर्ष अधिकारी अपना पक्ष रखने जाएंगे।
सीबीआई के आला अधिकारी हालांकि यह चाहते हैं कि लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सीबीआई को रिफर करे और इन मामलों की जांच लोकपाल की निगरानी में हो। इसके अलावा सीबीआई के अधिकारी इस संस्था के लिए और अधिक स्वायत्ता चाहते हैं। सीबीआई के डायरेक्टर ए पी सिंह सात सितंबर को कार्मिक, लोक शिकायत और कानून व न्याय मामलों पर संसद की स्थायी समिति के सामने पेश होंगे। सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘हम लोकपाल का गठन चाहते हैं लेकिन साथ ही तमाम जकड़नों से आजाद और स्वायत्त सीबीआई चाहते हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में एक कारगर हथियार साबित हो सकता है।’
सीबीआई इस समिति को बताएगी कि वह लोकपाल को अपने मौजूदा ढांचे को मजबूत करने के एक अवसर पर तौर पर देख रही है। जांच एजेंसी ज्वाइंट सेक्रेट्री रैंक और इससे ऊपर के अधिकारियों के खिलाफ जांच में आने वाली रुकावटों को दूर करना चाहती है। इस समय सीबीआई को सीनियर अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले राष्ट्रपति से लेकर पीएम और मंत्रियों की मंजूरी लेनी पड़ती है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस तरह के 14 मामले मंजूरी की राह देख रहे हैं। इसके अलावा 273 मामलों में जांच तो पूरी हो गई है लेकिन मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी नहीं मिलने से चार्जशीट दायर नहीं हो सकी है।
इस बीच, संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि टीम अन्ना के बिल से संबंधित एक प्रस्ताव संसद में पारित हो गया है। इसके बावजूद समिति इस बात के प्रभाव में आए बिना सभी मसौदों को बराबर अहमियत देते हुए जांचेगी-परखेगी। सिंघवी का कहना है कि समिति अंतत: अपनी सिफारिशों में ऐसे बिल का ही प्रावधान करेगी जो संविधान के मौजूदा नियमों के अनुरूप हो। ऐसे में देखा जाए तो टीम अन्ना के जन लोकपाल बिल का संसदीय समिति की कसौटी पर खरा उतरना मुश्किल हो सकता है।
टीम अन्ना के जन लोकपाल बिल में किए गए प्रस्ताव के मुताबिक लोकपाल को काफी शक्तियां होंगीं। जांच करने, कार्रवाई करने और जज के रूप में काम करने की सम्मिलित शक्ति एक ही संस्था के अंदर हो, सिंघवी इसे संविधान की कसौटी पर प्रथम दृष्टया खरा नहीं मानते। ऐसे में टीम अन्ना के बिल के लिए समिति के स्तर पर चुनौती बढ़ सकती है। हालांकि सिंघवी अभी इस बारे में कुछ नहीं कह रहे कि जांच-परख का क्या आधार बनेगा और अंतत: क्या निकल कर आएगा।
वैसे, कानूनन यह भी एक तथ्य है कि समिति की सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी नहीं होती। सरकार ने जन लोकपाल बिल से संबंधित तीन मांगों पर संसद से प्रस्ताव पारित करा लिया है। उध, संसदीय समिति को अभी तक सरकारी लोकपाल बिल पर 5500 लोगों के सुझाव मिल चुके हैं। इन तमाम बातों के मद्देनजर लोकपाल का अंतिम स्वरूप क्या निकल कर आता है, यह अभी तय नहीं है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 सितंबर 2011
अन्ना के लोकपाल का सीबीआई करेगी विरोध, समिति में होगी कड़ी परीक्षा!
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