हिन्दू धर्म में स्त्री शक्ति रूपा मानी गई है। क्योंकि स्त्री जननी या मां की भूमिका में संसार और परिवार को शक्ति संपन्न ही बनाती है। यही कारण है कि शास्त्रों में बताए जीवन यात्रा के चार चरणों में एक गृहस्थ जीवन के लिए स्त्री को ही धुरी माना गया है।
यही कारण है कि जिस तरह शास्त्रों में शिव-शक्ति को एक-दूसरे के बिना अधूरा माना गया है। ठीक उसी तरह गृहस्थ जीवन में स्त्री शक्ति का पुरुष के पुरुषार्थ के साथ बेहतर तालमेल गृहस्थ जीवन को सुखी और शांत रखता है।
इसी कड़ी में गरुड़ पुराण में बताए गए स्त्री धर्म का सकारात्मक पक्ष समझें तो यहां बताए जा रहे गृहस्थ जीवन के सूत्रों को अपनाना आधुनिक समय में भी हर स्त्री के लिये सार्थक साबित हो सकता है। जानते हैं इस धर्मग्रंथ में लिखे स्त्री धर्म के निचोड़ से निकले तीन खास सूत्र -
आज्ञा पालन - स्त्री को अपने पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए यानी हर स्त्री जीवनसाथी की बातों की अनदेखी न करे। बल्कि किसी बात या विषय से सहमत न होनें पर अपने विचार रखकर आपसी तालमेल से गृहस्थी से जुड़े निर्णय ले।
पति का विरोध न करे - सुखद समय में महत्वाकांक्षा या विपरीत विचार या हालात के चलते पैदा मतभेद, अभाव या तनाव में संयम खोकर पति का विरोध करने के बजाए विवेक का उपयोग कर निस्वार्थ भाव से पति के साथ खड़ी रहे। शास्त्र कहते हैं कि जब पति-पत्नी में आपसी कटुता या मतभेद न हो तो गृहस्थी धर्म, अर्थ व काम से सुख-समृद्ध हो जाती है।
चरित्र शुद्धि - पति के जीवित रहते या मृत्यु के बाद पर-पुरुष का आश्रय न लें। यहां संकेत चरित्र की पावनता का है। चूंकि विश्वास और प्रेम गृहस्थी का मूल है। जो पति के साथ रहते और उसके बाद कुटुंब की खुशहाली के लिए भी अहम है। शास्त्रों के मुताबिक ऐसी स्त्री न केवल यशस्वी जीवन को प्राप्त करती है, बल्कि शक्ति और प्रेरणा बन जाती है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 सितंबर 2011
स्त्री के इन 3 गुणों से खुशहाल हो जाती है गृहस्थी
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अख्तर भाई!
जवाब देंहटाएंआज की इस पोस्ट ने चौंका दिया। लेकिन जो कुछ आप ने बताया वह हिन्दू धर्म की नहीं अपितु भारतीय संस्कृति की विशेषता है।
अख्तर भाई आप खोज कर तो ठीक बात लाये हो, लेकिन पुरुष के लिए भी तो कुछ कहा गया होगा शास्त्रार्थियों ने?
जवाब देंहटाएंपुरुष के लिये कहीं क़ोई दिशा निर्देश हैं
जवाब देंहटाएंविवाहित पुरुषो के लिये पत्नी के मरने के बाद पर स्त्री से विवाह और सम्बन्ध इस पर क़ोई दिशा निर्देश
हां इस में एक दिशा निर्देश और जोड़ दे
सती होने वाला पति की मृत्यु के बाद
पोस्ट हर विवाहित जोड़े को पढने के लिये भेज दे और निर्देश दे की प्रिंट आउट करके बेड रूम में टांग दी जाए
aha... ati uttam... aur Pati parmeshvar kya karien..? ya sirf patniya hi karen jo bhi karen.. kripya uchit maargdarshan karen...
जवाब देंहटाएंaapki dost aur shubhchintak.
Can you please give me the shloka number of garud puran where its written?
जवाब देंहटाएंYep .. I do want to know the shlok number and section where its written.. bcoz i went through garud puran at least 2 times.. and listened many times.. but could not find such thing..
जवाब देंहटाएं---हाँ पुरुष के लिए भी लिखा है.....
जवाब देंहटाएं"जो व्यक्ति .. स्त्रियों और बच्चों का संग्रहीत धन छीन लेता है, परायी स्त्री से व्यभिचार करता है, निर्बल को सताता है, ईश्वर में विश्वास नहीं करता, कन्या का विक्रय करता है; माता, बहन, पुत्री, पुत्र, स्त्री, पुत्रबधु आदि के निर्दोष होने पर भी उनका त्याग कर देता है, ऐसा व्यक्ति प्रेत योनि में अवश्य जाता है। उसे अनेकानेक नारकीय कष्ट भोगना पड़ता है। उसकी कभी मुक्ति नहीं होती ।"
सिर्फ गृहस्थ आश्रम में ही नहीं ...तीनों आश्रम में स्त्री जीवन की धुरी मानी गयी है...
जवाब देंहटाएंसबकुछ स्त्रियाँ ही करेंगी?
जवाब देंहटाएंवैसे आप श्लोक नंबर बता ही दीजिये. प्रमाण के साथ देने से पोस्ट और पुख्ता हो जायेगी.