आपका-अख्तर खान

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30 अगस्त 2011

इदुल फ़ित्र की मुबारकबाद कुबूल कीजिये ..............

दोस्तों फ़ित्र के मायने रोजा खोलना या फिर रोजा न रखना है ..अल्ला ताला ने अपने बन्दों पर एक सदका वाजिब फरमाया है ...वोह है के हर बन्दा रमजान शरीफ के खत्म होने पर रोजा खुल जाने की ख़ुशी और शुक्रिया के लियें अदा करें ..और इस अदायगी को सदका फ़ित्र कहते हैं .......इसे रोजा खुलने की ख़ुशी मनाने का दिन होने की वजह से रमजान शरीफ के बाद वाली ईद होने पर इदुल फ़ित्र कहते हैं .........सदका फ़ित्र हर आदमी और बच्चे पर वाजिब है यह ईद की नमाज़ अदा करने के पहले दिया जाना अच्छा है एक डमी का पाने दो सेर गेहूं सदका फ़ित्र देना जरूरी है .....तो दोस्तों यह तो बात हुई इदुल फ़ित्र की इस मोके पर सभी देश वासियों को मुबारकबाद खासकर मेरे ब्लोगर भाई और बहनों को इस अवसर पर बधाइयां और सिवय्यें खाने की दावत ...........दोस्तों ईद मनाना रोजा रखना आम बात है लेकिन इसे निभाना एक खास बात है अगर हर शख्स रोज़े की फज़ीलत समझ ले इस ट्रेनिंग को अंगीकार कर ले .......मुंह से बुरा ना कहे ..कान से बुरा ना सुने .हराम रोज़ी पेट में ना डाले .हाथ से कोई बुरा ना करे ....पेरों से कहीं गलत जगह न जाए ..दिमाग से बेईमानी ना करे ....तो फिर अगर सभी इन्द्रियाँ बस में हो जाए और हर इंसान वाजिब तोर पर रोज़े की फज़ीलत समझ कर जिंदगी में अंगीकार कर ले तो फिर तो देश की ईद हो जाए तो दोस्तों इस हर साल आने वाली ईद की तो बधाई लेकिन कोशिश करें के सभी इन्द्रियों के रोज़े रख कर देश में रोज़ ईद मनाये खुशियाँ मनाये गरीबों को जकात और फ़ित्र देकर उन्हें भी बराबर का दर्जा दिलवाए खुद भी खुश रहे और दूसरों को भी अपने साथ शामिल कर खुशिया मनाये ..एक बार फिर ईद मुबारक हो ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. ईदुलफितर के शुभ मौके पर आपको सपरिवा हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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