कोटा। जिस भवन की छतें टपक रही हैं, जगह-जगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ है। बिजली के बोर्ड खुले पड़े हैं। कमरों में सीलन भरी हुई है। ऎसे भवन में रह रही हैं, देश की 'भावी प्रतिभाएं'! जर्जर हालत वाले इस भवन में कभी भी कोई हादसा हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।
जी हां, ये हाल हैं सूरजपोल स्थित केन्द्र प्रवर्तित अनुसूचित जाति जन जाति प्रतिभा विकास छात्रावास(सिटी हॉस्टल) के। इस छात्रावास में राज्य के 12 जिलों के कक्षा 9 से 12 के मल्टीपरपज स्कूल में पढ़ने वाले 34 प्रतिभावान विद्यार्थी रह रहे हैं। बीच आंगन में एक पेड़ है जो कभी भी गिर सकता है। कई छज्जे टूट कर गिर चुके हैं। छात्रों की सुरक्षा के लिए चौकीदार तक की भी सुविधा नहीं है। छात्रावास के कमरों में सीलन को रोकने के लिए छात्रों ने दीवारों पर अखबार चिपका रखे हैं।
इतना ही नहीं छात्रों के सोने के बिस्तर इतने अधिक गंदे हैं कि उनमें से दुर्गन्ध आ रही है। बिस्तर धोने के लिए साबुन की भी सुविधा नहीं है। कहने को छात्रावास में बच्चों के नहाने और शौच जाने के लिए जनसुविधाएं तो हैं, लेकिन उनमें सफाई नहीं होने से वे अनुपयोगी पड़ी हुई हैं। एक ही जनसुविधा का सभी को उपयोग करना पड़ रहा है।
बजट ही नहीं आया
गौरतलब है कि छात्रावास के लिए केन्द्र सरकार से बजट आता है। गत वर्ष का अभी तक नहीं आया है। इस कारण से कई अव्यवस्थाएं हो रही हैं। यही कारण है कि छात्रावास का पिछले 4 माह का पानी का करीब 5 हजार रूपए और बिजली का 10 हजार रूपए बिल जमा कराना बाकी है। भवन की जर्जüर हालत के बारे में कई बार लिखा जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने भवन को अनुपयोगी घोषित कर दिया है।
राधेश्याम शर्मा, छात्रावास अधीक्षक
छात्रों के खाने के लिए जो बजट आता है वह बहुत कम है। इस दर में बच्चों को अच्छा खाना खिलाना चुनौती है। बजट भी समय पर नहीं आने से परेशानी बढ़ गई है।
नरेन्द्र शर्मा, प्रधानाचार्य मल्टीपरपज स्कूल
खाने और जेब खर्च में भेद
छात्रावास में जहां एससी और एसटी दोनों वर्गोü के छात्र साथ रह रहे हैं और साथ ही खाना खा रहे हैं बावजूद दोनों में फर्क किया जा रहा है। एससी के छात्रों के लिए 500 रूपए महीना खाने का व एसटी के छात्रों का 700 रूपए और एससी के छात्रों को सौ रूपए महीना जेब खर्च है। वहीं एसटी के छात्रों को दो सौ रूपए महीना जेब खर्च के मिलते हैं।
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