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24 अगस्त 2011

अन्‍ना को लेकर बीजेपी में बगावत! यशवंत सिन्‍हा ने की इस्‍तीफे की पेशकश

नई दिल्ली. बीजेपी की ओर से लोकपाल के मुद्दे पर रुख साफ नहीं करने से नाराज पार्टी सांसद यशवंत सिन्‍हा ने इस्‍तीफे की पेशकश कर सियासी माहौल गरमा दिया है। पार्टी सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक सिन्‍हा ने आज पार्टी संसदीय दल की बैठक में सांसद के पद से इस्‍तीफा देने की पेशकश की हालांकि पार्टी ने सिन्‍हा के इस्‍तीफे की पेशकश ठुकरा दी। बीजेपी के युवा सांसद वरुण गांधी सुबह-सुबह रामलीला मैदान पहुंच गए और अन्ना समर्थकों के बीच बैठ गए। कुछ ही देर बाद शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने भी अपना 'दूत' भेज दिया। उनकी ओर से संजय राउत चिट्ठी लेकर रामलीला मैदान पहुंचे। चिट्ठी में अन्‍ना से अनशन तोड़ने की अपील की गई है। अन्‍ना के अनशन का आज नौवां दिन है।

वरुण गांधी से जब पूछा गया कि आप के रामलीला मैदान में आने का क्या मतलब है, तो उन्होंने कहा कि मैं यहां देश के एक नागरिक के तौर पर आया हूं। मैं अन्ना का समर्थन करना चाहता हूं। जब वरुण से पूछा गया कि वह मंच पर जाएंगे तो उन्होंने कहा कि वे मंच पर नहीं जाएंगे। अन्ना से मुलाकात की बात पर पीलीभीत से बीजेपी के सांसद ने कहा कि उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है।
वरुण गांधी पहले भी जन लोकपाल बिल को प्राइवेट मेंबर्स बिल के तौर पर पेश करने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। हालांकि उनकी पार्टी ने जन लोकपाल बिल का समर्थन नहीं किया है। बीजेपी ने अन्ना का तो समर्थन किया है, लेकिन उनके बिल पर पार्टी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई राय नहीं दी है।

भाजपा सांसद शत्रुध्‍न सिन्हा ने बुधवार को गांधीवादी अन्ना हजारे और उनकी टीम द्वारा बनाए गए जन लोकपाल विधेयक का खुलकर समर्थन किया। सिन्हा ने कहा कि वह अपनी यह राय एक कलाकार के नाते दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने भी सरकार द्वारा संसद में पेश लोकपाल विधेयक की भी आलोचना यह कहकर की है कि वह सरकारी दफ्तरों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कमजोर और अक्षम है। उन्होंने कहा कि पार्टी को कुछ अन्य प्रावधानों पर आपत्तियां हो सकती है पर कुल मिलाकर वह एक मजबूत लोकपाल का समर्थन करती है। पर व्यक्तिगत तौर पर वह सिविल सोसाइटी द्वारा तैयार किए गए जनलोकपाल विधेयक का समर्थन करते हैं।

वहीं बीजेपी शासित गुजरात के एक मंत्री ने यह कहकर सियासी हलचल तेज कर दी है कि कोई भी व्‍यक्ति कानून बनाने के लिए संसद पर दबाव नहीं डाल सकता है। यह बयान गुजरात सरकार में कानून और संसदीय कार्य मंत्री दिलीप संघानी की तरफ से आया है जो सीएम नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं।

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