दरअसल प्रार्थना से परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। जिससे शक्ति का संचार होता है। आत्मबल बढ़ता है और मानसिक शांति मिलती है। प्रार्थना से आशा व आकांक्षा जुड़ी होती है। शुद्ध मन से एकाग्रता व श्रद्धा के साथ की गई प्रार्थना से मनोवांछित फल मिलता है। इसके पीछे कारण यही है कि मनुष्य का जीवन पूरी तरह उसकी सोच व विश्वास से जुड़ा है। जो जैसा सोचता है जो सोचता है और उसके लिए पूरे आत्मबल के साथ कोशिश करता है। वह उसी ओर बढऩे लगता है। प्रार्थना से मनोबल बढऩे के साथ ही हमारा मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है व कार्य करने की और मुसीबतों से जुझने की शक्ति मिलती है। इसीलिए हम प्रार्थना करते हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 जुलाई 2011
तो इसलिए हम प्रार्थना करते हैं
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प्राचीन समय से ही मनुष्य मुसीबतों से बचने के लिए प्रार्थना करता आया है। किसी भी किए गए कर्म का फल प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की जाती है। विश्व के हर कोने में लोग प्रार्थना करते हैं। सुबह के समय अधिकतर लोग ईश्वर की प्रार्थना इसीलिए करते हैं ताकि पूरा दिन सुखद रहे। स्कुलों में बच्चे सामुहिक रूप से प्रार्थना करके पढ़ाई करते हैं। इसी तरह लोग अपनी -अपनी आजीविका चलाने के कार्य प्रारंभ करने पहले प्रार्थना करते हैं।
दरअसल प्रार्थना से परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। जिससे शक्ति का संचार होता है। आत्मबल बढ़ता है और मानसिक शांति मिलती है। प्रार्थना से आशा व आकांक्षा जुड़ी होती है। शुद्ध मन से एकाग्रता व श्रद्धा के साथ की गई प्रार्थना से मनोवांछित फल मिलता है। इसके पीछे कारण यही है कि मनुष्य का जीवन पूरी तरह उसकी सोच व विश्वास से जुड़ा है। जो जैसा सोचता है जो सोचता है और उसके लिए पूरे आत्मबल के साथ कोशिश करता है। वह उसी ओर बढऩे लगता है। प्रार्थना से मनोबल बढऩे के साथ ही हमारा मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है व कार्य करने की और मुसीबतों से जुझने की शक्ति मिलती है। इसीलिए हम प्रार्थना करते हैं।
दरअसल प्रार्थना से परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। जिससे शक्ति का संचार होता है। आत्मबल बढ़ता है और मानसिक शांति मिलती है। प्रार्थना से आशा व आकांक्षा जुड़ी होती है। शुद्ध मन से एकाग्रता व श्रद्धा के साथ की गई प्रार्थना से मनोवांछित फल मिलता है। इसके पीछे कारण यही है कि मनुष्य का जीवन पूरी तरह उसकी सोच व विश्वास से जुड़ा है। जो जैसा सोचता है जो सोचता है और उसके लिए पूरे आत्मबल के साथ कोशिश करता है। वह उसी ओर बढऩे लगता है। प्रार्थना से मनोबल बढऩे के साथ ही हमारा मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है व कार्य करने की और मुसीबतों से जुझने की शक्ति मिलती है। इसीलिए हम प्रार्थना करते हैं।
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