

दरअसल प्रार्थना से परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। जिससे शक्ति का संचार होता है। आत्मबल बढ़ता है और मानसिक शांति मिलती है। प्रार्थना से आशा व आकांक्षा जुड़ी होती है। शुद्ध मन से एकाग्रता व श्रद्धा के साथ की गई प्रार्थना से मनोवांछित फल मिलता है। इसके पीछे कारण यही है कि मनुष्य का जीवन पूरी तरह उसकी सोच व विश्वास से जुड़ा है। जो जैसा सोचता है जो सोचता है और उसके लिए पूरे आत्मबल के साथ कोशिश करता है। वह उसी ओर बढऩे लगता है। प्रार्थना से मनोबल बढऩे के साथ ही हमारा मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है व कार्य करने की और मुसीबतों से जुझने की शक्ति मिलती है। इसीलिए हम प्रार्थना करते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)