लोकपाल पर सरकार देगी लॉलीपॉप
केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में मिले सुझावों को डीओपीटी के पास भेजा जा रहा है। सरकार वादे के मुताबिक इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पेश करेगी। हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि विधेयक को मानसून सत्र में पेश करने का वादा था, लेकिन पारित कराने के लिए समयसीमा निर्धारित नहीं की गई थी। सर्वदलीय बैठक के नतीजों एवं उसके बाद सरकार की रणनीति का खुलासा करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम, दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल और संसदीय कार्य मंत्री पीके बंसल ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा की। चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में संसदीय प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया गया।
सरकार की तरफ से कहा गया कि अगर अन्ना के जनलोकपाल विधेयक ड्राफ्ट पर अमल किया गया तो संविधान बदलना पड़ेगा। चिदंबरम ने कहा कि यह फिर से संविधान लिखने का समय नहीं है।
विरोधी दलों का भी बचाव: चिदंबरम ने कहा, ‘कई पार्टियों ने संसद में विधेयक पेश होने तक अपना रुख सुरक्षित रखा है, जो वैध और मान्य है।’ सिब्बल ने कहा, ‘हो सकता है कि प्रावधानों पर राय बनाने के लिए भाजपा को और समय की जरूरत हो।’ दो पार्टियों ने यह सुझाव दिया कि विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया जा सकता है।
बदल सकता है पार्टियों का रुख : प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में शामिल करने के कुछ पार्टियों के रुख पर मंत्रियों ने कहा कि यह प्रारंभिक विचार हैं। जब हम आगे बढ़ेंगे तो सभी पक्ष विवादित मुद्दों पर सर्वसम्मत हो जाएंगे।’ द्रमुक के रुख पर चिदंबरम ने कहा कि विभिन्न पार्टियों की अपनी अलग राय हो सकती है।
अनशन पर गोलमाल जवाब : अन्ना हजारे के 16 अगस्त से प्रस्तावित अनशन पर उठे सवालों का मंत्रियों ने सीधा जवाब नहीं दिया। चिदंबरम ने कहा कि हम यह मानकर नहीं चल सकते कि 16 अगस्त से अनशन होगा ही।
सिब्बल के मुताबिक, सर्वदलीय बैठक में कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने सिविल सोसायटी की परिभाषा पर हैरानी जताई। सरकार की ओर से सफाई पेश करते हुए सिब्बल ने कहा कि सरकार ने कभी भी सिविल सोसायटी शब्द का प्रयोग नहीं किया था। बल्कि जिनसे बात हुई वे अन्ना हजारे के प्रतिनिधि थे। चिदंबरम ने कहा कि तबकी परिस्थिति ऐसी थी। माना गया कि अन्ना हजारे की टीम को साथ लेने से कानून का मसौदा बेहतर बनाया जा सकता है।
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