जयपुर। विज्ञान में डायन या ऊपरी हवा जैसी कोई चीज नहीं होती है लेकिन इसके बाद भी राज्य में डाकन के नाम पर बीते 15 साल में करीब ढाई हजार महिलाओं को मार दिया गया। इसके अलावा हजारों महिलाओं को अपमानित करने के साथ प्रताडित अलग से किया गया है। राज्य महिला आयोग ने डाकन प्रथा को रोकने के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव 2005 में ही दे दिया था लेकिन इसे आज तक कानून की दर्जा नहीं दिया गया।
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन के अनुसार, अशिक्षित महिलाओं, पिछड़े वर्ग की ग्रामीण महिलाओं की संपत्ति हड़पने या शोष्ाण के लिए लोग उन्हें डाकन बता कर प्रताडित करते हैं। इसमें तंत्र-मंत्र के नाम पर लगातार शोष्ाण के साथ मार-पीट तो होती ही है, अपमानित भी किया जाता है। कई बार इन सबके बीच महिलाओं की जान तक चली जाती है लेकिन इसके बाद भी राज्य में डायन के नाम पर महिलाओं को प्रताडित करने से रोकने के लिए आज तक भी प्रभावी कानून नहीं बनाया गया है। हालांकि, राज्य महिला आयोग की ओर से डाकन प्रथा रोकने के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को 2005 में ही भेजा जा चुका है। डायन प्रथा रोकने के लिए महिला संगठन ने राजस्थान हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है जिस पर अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
इन राज्यों में है कानून : डायन या डाकन के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए झाडखंड सरकार ने 1999 में ही कानून बना दिया था। इसके बाद 2001 में बिहार व छत्तीसगढ़ सरकार भी डायन प्रथा रोकने के लिए सख्त कानून बना चुकी है।
केवल परिपत्र जारी कर भूले : महिलाओं को डायन घोçष्ात कर प्रताडित करने की घटना को देखते हुए राज्य सरकार ने 16 सितंबर 2004 को परिपत्र जारी किया। इसमें डायन बताने को अमानवीय अपराध घोçष्ात करते हुए आरोपियों के खिलाफ पुलिस को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये गए। मामले की जांच सर्कल ऑफिसर रैंक के अघिकारी से करवाने और हर 15 दिन में पुलिस अधीक्षक से मामले की विवेचना करने के आदेश दिये गए।
मामूली मारपीट की धारा : राज्य सरकार के परिपत्र की जानकारी ज्यादातर पुलिस अघिकारियों को नहीं है। इसी वजह से ऎसे मामले की अव्वल तो पुलिस एफआईआर ही दर्ज नहीं करती है। मामले के तूल पकड़ने पर पुलिस ज्यादातर मामले 107 व 116 और 323 जैसी मामूली धाराओं में ही दर्ज करती है। इसके बाद मामले की जांच एएसआई स्तर को सौंप देती है।
महिलाओं पर अत्याचार बढ़े : नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरों के अनुसार, राज्य में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। महिला संगठनों की मानें, तो प्रदेश में हर साल करीब 100 महिलाओं को ऊपरी हवा या डायन घोçष्ात कर अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। इसमें उदयपुर, जोधपुर, कोटा, जैसलमेर के ग्रामीण व पिछड़े जिले की महिलाएं सबसे अघिक पीडित हैं।
इनका कहना है : डायन प्रथा के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए लेकिन महिला आयोग की पहल के बाद भी राज्य सरकार पांच साल में भी कानून बनाने में नाकाम रही है। इस लिए राजस्थान हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। अदालत ने नोटिस जारी कर सरकार से जवाब-तलब किया है।
- अजयकुमार जैन, अघिवक्ता
डायन प्रथा शिक्षित समाज पर कंलक है। महिलाओं पर अत्याचार करने और संपत्ति हड़पने के लिए महिला को डायन बताकर प्रताडित किया जा रहा है। काूनन नहीं होने के आधार पर कार्रवाई नहीं करती है। इसलिए जनहित याचिका के माध्यम से अदालत के ध्यान में पूरा मामला लाया गया है।
- निशा सिद्घू, महासचिव नेशनल
फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन
बहुत शर्म की बात है...
जवाब देंहटाएंजबकि असली डायन 'मंहगाई' जिसे वाकई मार दिया जाना चाहिए, दिन दुनी रात चौगुनी फल फुल रही है...