दोस्तों आप सब जानते हैं के आज़ादी से आज तक कोंग्रेस ने मुसलमानों के लियें जो भी कुछ घोषणाएं की है वोह सिर्फ घोषणाएं बन कर रह गयी हैं उन्हें पूरी कोंग्रेस सरकार ने किया हो शायद ऐसा एक भी उदाहरण नहीं मिलता है हाँ कोंग्रेस की मुसलमानों के कल्याण की केवल घोषणा मात्र से ही देश में एक साम्प्रदायिक विवाद खड़ा हो जाता है और कोई भी योजना बनने से पहले ही अटक जाती हैं ..कोंग्रेस ने साम्प्रदायिक दंगे रोकने के लियें ऐसा ही एक विवादित बिल तय्यार किया है जो अभी से विवाद में आ गया है .विवाद भी सही है भाई यहाँ एक कसाई को एक खटिक को दूकान पर मांस बेचने से रोकने का प्रावधान है लेकिन दुसरे धर्म के लोगों को शर्मगाह दिखाकर नग्न घुमने पर प्रतिबंध नहीं है बात ठीक है सभी को धर्म का अधिकार है लेकिन इस अधिकार और कानून का इमानदारी से इस्तेमाल होना चाहिए ...हमारे देश में साम्प्रदायिक दंगे क्यूँ होते हैं ,कोन करते हैं , इन दंगों से किसे फायदा होता अहै सरकार खूब जानती हैं ..कोंग्रेस के पूर्व सांसद जिलानी को गुजरात में ज़िंदा जला दिया गया कोंग्रेस सरकार ने इस मामले में सी बी आई जांच की पहल नहीं की गुजरात के दंगों के जाँच की पहल नहीं की जो भी जांचें शुरू हुई हैं वोह सब जनहित याचिकाओं पर शुरू हुई है अब जन खुद कोंग्रेस के मुस्लिम सांसद को ज़िंदा जला देने की जांच कोंग्रेस नहीं कराना चाहती हो तो फॉर वोह मुसलमानों को केसे इन्साफ देती होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं ...हमें पहले भी कहा था के साम्प्रदायिक बिल की इस देश में कोई आवश्यकता नहीं है यहाँ मुकम्मल कानून बना है बस मुस्लिम प्रोटेक्शन एक्ट बना दिया जाए जिसमे किसी भी मुस्लिम को अगर केवल मुसलमान होने के कारण प्रताड़ित किया जाए उसके साथ भेदभाव किया जाये उसे अधिकार नहीं दिए जाएँ तो इसे अधिकारी,कर्मचारी,नेताओं के खिलाफ और जिलाधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान हों किसी मुसलमान पर अगर अप्रमाणित आरोप लगाये जाएँ तो उस व्यक्ति और जिस पार्टी से वोह सम्बद्ध हो चुनाव आयोग द्वारा उसकी मान्यता रद्द की जाए मंत्री हो तो पद मुक्त कर उसे पांच साल के लियें चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया जाये साथ ही अगर मुस्लिम अपराधी हैं तो उन्हें सज़ा दी जाये कोंगेस का साम्प्रदायिक मुखोटा में आपको बताता हूँ .................आज़ादी के बाद काका केलकर आयोग गठित हुआ और कहा गया के देश में किस काम में लगे लोग पिछड़े हैं उनकी पहचान करना है ..काका केलकर ने मांस ,कपड़ा बुनने,कपड़ा धोने,रंगने,ढोल बजने वालों सहित कई दर्जन कर्मकारों को पिछड़ा बताते हुए इस व्यवसाय में लगे लोगों को आर्थिक पैकेज देने की सिफारिश की ..जिस देश में जाती ,धर्म,लिंग.के आधार पर भेद भाव नहीं करने का संविधान हो वहां डबल स्टेंडर्ड अपनाया गया सरकार ने इन सभी व्यवसाय में लगे लोगों को आरक्षण और आर्थिक पैकेज दिया और साथ ही एक अधिसूचना जारी कर प्रतिबंध लगाया के केवल हिन्दू लोगों को ही इस तरह के कार्य में लगे होने पर आरक्षण और आर्थिक पैकेज मिलेगा ...इस अधिसूचना से मांस का व्यसाय कर रहे मुस्लिम कसाई तो लाभ से वंचित हुए लेकिन हिन्दू शब्द होने से खटिक भाई को लाभ मिला ,कपड़ा बुनने वाले अंसारी जुलाहे सरकारी लाभ से वंचित रहे लेकिन कोली समाज के बुनकरों को इसका लाभ मिला यही हाल धोबी,रंगरेज़,न्गाद्ची,धोल्ली सही सभी कर्मकारों के साथ हुआ नतीजा सामने है एक ही व्यवसाय से जुड़े जुलाहे कसाई आज पिछड़े हुए हैं जबकि खटिक और कोली व् दुसरे लोग संसद,विधायक,पंच सरपंच पद आरक्षित सीटों से निर्वाचित है और कोई कलेक्टर तो कोई एसपी तो कोई अधिकारी बना हुआ है लेकिन मुस्लिम इन व्यवसायों से जुड़े सभी लोग आज पीड़ा के दोर से गुजर रहे है ..धर्मनिरपेक्ष लोग ,राष्ट्रभक्त लोग आज क्यूँ नही इस भ्देभाव को खत्म करवाते संविधान की मूलभावना के विपरीत जब यह कार्यवाही हुई तो केलकर ने इस का विरोध किया वेंक्त्चाल्य्या ने विरोध किया सच्चर ने सिफारिश की रंगनाथ मिश्र ने सरकार की पोल खोल दी और आज मुसलमान जहाँ का तहां हुई ..............आज फिर से साम्प्रदायिक बिल के नाम पर यह विवाद पैदा किया गया है जबकि मुसलमान को आवश्यकता है मुस्लिम प्रोटेक्शन एक्ट की जो बजट उसके इदारों के लियें है उसे सरकार दूसरी मदों में खा जाती है पुरे देश में लाखों बीघा जमीन वक्फ की सरकारें दाब कर बेठी हैं अगर इस मामले में इन्साफ मिल जाए तो बस देश में एकता भाव पैदा हो जाए एक युनिफोर्म सिविल कोड हो जिसमे अगर हिदू मांस व्यवसाय करने वाले को आरक्षण है तो मुस्लिम मांस व्यवसाय करने वाले को भी आरक्षण मिले यह भेदभाव खत्म हो हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई सभी को संविधान में जो अधिकार दिए गए हाँ वोह इमानदारी से अगर दे दिए जाए फालतू बकवास करने वाले नेताओं और धर्मगुरुओं को अगर जेल में दल दिया जाये तो मेरा देश फिर से जिंदाबाद हो जाये ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 जून 2011
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बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है आपने.... आपसे पूर्णत: सहमत हूँ अख्तर भाई...
जवाब देंहटाएंकांग्रेस आज किसी भी धर्म की नहीं रही है। वह सिर्फ पूंजीपतियों के हित साधती है। बाकी तो राजनीति है। धर्म के आधार पर विभाजन पूंजीवाद को माफिक आता है। क्यों कि इस से जनता आपस में लड़ती रहती है और जनता के वास्तविक मुद्दे पीछे छूट जाते हैं।
जवाब देंहटाएंएक कड़वा सच जिसे आपने बखूबी बयान किया. प्रशंसनीय
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha apne..सारगर्भित पोस्ट , आभार
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