वकीलों को अब तक स्थान और अदालत विशेष के अलावा पैरवी करने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती थी। दो दिन पूर्व केंद्रीय विधि मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के बाद वकीलों को अनुमति वाली प्रक्रिया से मुक्ति मिल जाएगी।
मंत्रालय के आदेश में अधिवक्ता अधिनियम-1961 की धारा 30 लागू करने की बात कही गई है। इस धारा के तहत वकीलों को किसी भी न्यायालय में जाने का अधिकार प्राप्त होगा।
यह अधिकार अधिनियम में दर्शाया गया था, मगर धारा लागू नहीं की गई थी। इसी कारण वकीलों को किसी भी न्यायालय में पैरवी करने या फैमिली कोर्ट या ट्रिब्यूनल, ज्यूवनाइल कोर्ट में जाने की पाबंदी थी। इस सम्बंध में केरल की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया था, जिसके बाद विधि मंत्रालय ने इसे लागू करने की स्वीकृति दे दी। अब वे देश के किसी भी स्थान (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) और किसी भी अदालत में पैरवी कर पाएंगे।
धारा-30 के लागू न होने के कारण वकीलों को कई जगह पैरवी करने की मनाही थी। मुख्य रूप से फैमिली कोर्ट में मध्यस्थता में वकीलों को दिक्कत होती थी। साथ ही पक्षकारों को उचित न्याय नहीं मिलता था। देशभर में अधिवक्ताओं ने धारा-30 पर लागू कराने के लिए कई बार आंदोलन किया है। 2002-03 में भी संसद घेराव कर उक्त धारा को लागू कराने की अपील की गई थी। कई बार केंद्रीय विधि मंत्रालय को इसे लागू करने का मेमोरंडम दिया गया था।
प्रिय अख्तर खान जी
जवाब देंहटाएंअब तो और दिमाग ख़राब करेंगे ये सभी लोग |
अब सही मायने में इनकी डिग्री इनके उपर जच रही है, अब देश में चारों तरफ घूम घूम कर बोलेंगे ये लोग |
अधिक बोलने वाले को ही अधिवक्ता बोला जाता है न |
यहाँ भी आयें http://www.akashsingh307.blogspot.com/
Akash Singh Ki Achhi Batein......
me to ye chahta hun in agrejon ka jo kanun aj bhi is desh me chal raha he vo khatam ho jae एक बार इसे जरुर पढ़े कॉग्रेस के चार चतुरो की पांच नादानियां | http://www.bharatyogi.net/2011/06/blog-post_15.html
जवाब देंहटाएं