कसाई और बकरे का खेल ......यह तो आप सभी जानते होंगे अगर नहीं जाने तो में आपको बताता हूँ हमारे पडोस में एक कल्लू कसाई रहता है ..वोह एक बकरे को जब पकड़ कर लेजाने लगा तो उसकी छुरी देख कर बकरा बहुत चिल्लाया .; लेकिन कल्लू कसाई ने उसकी एक नहीं सुनी और उसकी गर्दन पर छुरी रख कर उसे हलाल कर अपनी दूकान सजाई रुपया कमाया शाम को सत्ता लगाया रूपये बर्बाद किये और फिर दुसरे दिन इस कसाई को नये बकरे की तलाश थी ..जी हाँ यही सच है आज हमारी सरकार हमारे लियें कल्लू कसाई से भी ज्यादा खतरनाक है और हमारी हालत बकरे से भी बुरी है ,,हमारी सरकार जिसे हमने चुना है अगर हम आह भी करते हैं तो हमे बदनाम कर देती है और खुद कत्ल भी करती है तो चर्चा नहीं होती ...देश में अरबों रूपये के घोटाले सिर्फ इसलियें होते हैं के जनता की निगरानी और भागीदारी शासन में नहीं है ..जनता को ठगा इसलियें जाता है के जनता जनता नहीं कोंग्रेस भाजपा पक्ष और विपक्ष हो गयी है .देश में जब पेट्रोल डीज़ल और घरेलू गेस की सब्सिडी खत्म की थी तब एक ही बात दिमाग में थी के यह रुपया जो भी बचेगा देश के कल्याण और विकास में लगेगा लेकिन यह क्या यह रुपया तो भ्रष्टाचार और काला बाजारियों के भेंट चढ़ रहा है यहाँ तो जनता आफत में है महंगाई से त्रस्त है और सरकार है के मस्त है पेट्रोल.डीज़ल.केरोसिन और रसोई गेस के भाव आसमान पर हैं नतीजे गंभीर होते जा रहे है हाल ही में डीज़ल और केरोसिन की वृद्धि गरीबों के लियें सरकार को कल्लू कसाई साबित कर रही है बसों का किराया बढ़ेगा ,,आवश्यक वस्तुओं को लाने ले जाने का भाड़ा बढ़ेगा मुनाफा बड़ेगा और सभी आवश्यक वस्तुओं के भाव आसमान पर होंगे अब तो बस जनता बकरा है और सरकार कल्लू कसाई है जब जिसे चाहे छुरी दिखा कर डरा सकती है जब जिसे चाहे काटकर अपना उल्लू सीधा कर सकती है ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
24 जून 2011
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आपने बिलकुल सही फ़रमाया है.
जवाब देंहटाएंसरकार को जनता पर बिलकुल तरस नहीं आया है.
रोज पैनी छुरी चलाती है.
निस्सहाय जनता तड़फती है ,कसमसाती है.
अख्तर भाई! नमस्कार, बिलकुल सत्य आलेख है आपका..आपको अनेकों धन्यवाद ! आपका ही-- रमेश घिल्डियाल, कोटद्वार, उत्तराखंड.
जवाब देंहटाएंमेरी आरजुओं को मंजिल न मिली
जवाब देंहटाएंमेरी तमन्नाओं की कश्ती को साहिल न मिला
कत्ल करके मेरे अरमानो का
कातिल कहता है की कातिल न मिला?
जनता जनता नहीं कोंग्रेस भाजपा पक्ष और विपक्ष हो गयी है .
जवाब देंहटाएं.
सही कहा है
बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंआपकी पुरानी नयी यादें यहाँ भी हैं .......कल ज़रा गौर फरमाइए
नयी-पुरानी हलचल
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/