जरा सोचो ....
जरा ठहरो
जरा रुको
जरा चिंतन कर लो
जो बात
तुमको
तुम्हारे लियें
तुम्हारे धर्म के लियें
पसंद ना हो
क्या वाही बात
तुम्हे
दुसरे के लियें
दुसरे के
धर्म के लियें
करना चाहिए
अगर
जो बात
तुमको पसंद नहीं
तुम दूसरों के लियें
करते हो
तो तुम
क्या इंसान कहलाने लायक हो
जरा इस सवाल को
सोचो
चिंतन और मनन करो
और हो सके तो
जवाब देने की हिम्मत और जज्बा पैदा करो
आपके हर जवाब का
में सामना करने को
तय्यार हूँ ....................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
bahut sundar akhtar bhai, kash aisee hi sochh sabki hoti.
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