आपका-अख्तर खान

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07 मई 2011

जरा मुझे बताओ ....

जरा मुझे बताओ .... 
एक चुटकुला 
ख़ुशी का एक 
एहसास 
तुम्हें 
बार बार 
ना तो 
गुदगुदाता है 
ना ही 
हंसाता है 
फिर केवल 
एक दर्द 
क्यूँ 
अपने अन्दर 
ऐसा 
रख लेते हो 
जो तुम्हें 
बार बार 
हर रोज़ 
दर्द से 
कराहता है ..............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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