कभी में भी ........
पालने में झुला था ..
कभी में भी
अपनी माँ की गोद में
खेला था ..
कभी मेने भी
अपने पिता की डांट सुनी थी
कभी मुझे भी
मेरे माता पिता ने ..
आज जो मेरी पत्नी है
उसके हवाले किया था
कभी मेरी पत्नी ने भी
मेरे माँ बाप से प्यार किया था
लेकिन आज देखो
यह सब इतिहास है
मेरे माता पिता
सब एक कोने में
एक कमरे में
अलग थलग रहते हैं
में एक तरफ
दुसरे कमरे में
अपने बीवी बच्चों के साथ
खिलखिलाता हूँ ,इठलाता हूँ ,मुस्कुराता हूँ
मेरे माँ बाप
पंखे में पसीने सुखा रहे हैं
एक में हूँ
जो अपने बच्चों के साथ
एयरकन्डीशन में मजे उड़ा रहे हैं ..
मेरे यही बच्चे यही बीवी
जिनके लियें मेने
अपने माँ बाप को छोड़ा है
आज वही सब मिलकर
देखो पुरे मोहल्ले
पूरी बस्ती में
मुझे बदनाम कर घर से बाहर निकाल रहे हैं
पत्नी ने तो
अदालत का सहारा लिया है
मुझे दहेज़ का लोभी बताकर
मेरे खिलाफ मुकदमा किया है
सोचता हूँ
क्या मेने
अपने माता पिता के साथ
इंसाफ किया
किया मेने मानवता के साथ
इन्साफ किया
शायद नहीं
इसी लियें तो आज में
दुनिया में
दुःख उठा रहा हूँ ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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