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10 मई 2011

दहेज़ प्रताड़ना कानून का संशोधन संतुलित रखने का प्रयास होगा .जस्टिस शिवकुमार शर्मा

केन्द्रीय विधि आयोग के सदस्य और राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधिपति रहे जस्टिस शिवकुमार ने आज कोटा में आयोजित एक सेमीनार में घोषणा की के दहेज़ प्रताड़ना कानून में जो भी प्रस्तावित संशोधन है वोह बहु पक्षीय होंगे उन्होंने विशवास दिलाया के इस संशोधित प्रस्तावों में महिला और पुरुष उत्पीडन दोनों का ख्याल रख कर ही कोई सुझाव दिए जायेंगे .................जस्टिस शिवकुमार शर्मा आज कोटा अभिभाषक परिषद में आयोजित दहेज़ प्रताड़ना कानून के संशोधन विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वकील और न्यायिक अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे .
जस्टिस शिवकुमार शर्मा ने माहोल को गम्भीरता से हंसी की तरफ लेजाते हुए एक चुटकुला अकबर बीरबल का सुनाया जिसमे अकबर से एक व्यक्ति को मनहूस शक्ल का बताकर उसे देश निकाला देने  या फिर फांसी की सजा देने  की कुछ लोगों ने मांग की ..अकबर ने खा के पहले में जनाचुन्गा परखूंगा फिर आगे सोचूंगा ,,सुबह सवेरे अकबर के दरवाजे पर इस कथित मनहूस शक्ल वाले को खड़ा कर दिया गया और जेसे ही अकबर ने इस व्यक्ति की शक्ल देखी उनके जूते पहनते वक्त काँटा चुभ गया ..अकबर ने इस व्यक्ति को मनहूस घोषित कर फांसी की सजा सूना दी उसे फांसी होते देख पीड़ित की पत्नी बीरबल के पास पहुंची .बीरबल अकबर के पास पहुंचे अकबर से बीरबल ने जब फांसी का कारण पूंछा तो अकबर ने कहा के यह मेरे राज्य का सबसे मनहूस शक्ल का व्यक्ति है जो इसकी शक्ल देखता है उसका काम बिगड़ जाता है मेने भी इस चेक कर लिया है इसलियें इसकी फांसी की सजा ठीक है .बीरबल ने कहा के जनाब इससे भी एक मनहूस आदमी इस राज्य में है अकबर ने उस व्यक्ति का नाम पूछा तो बीरबल ने अकबर का नाम बता दिया ..अकबर यह सुनकर लाल पीला हो गया बीरबल से इस बात को साबित करने के लियें कहा बीरबल ने कहा के जिस शख्स की आप बात कर रहे हो उस शख्स की शक्ल आपने देखी तो आपके कानता चुभ गया लेकिन इस शख्स ने आपकी शक्ल देखी तो उसे फांसी पर चढाया जा रहा  है अकबर बीरबल की यह बात सुनकर आवाक रह गया और फिर उसने इस शख्स को बरी कर दिया .......शिवकुमार जी ने कानूनी बात कहते हुए कहा के जजों को क्रिकेट के अम्पायर नहीं बनना चाहिए के एक जगह खड़े खड़े हाथ उठा कर फेसला सुनाते रहे उन्होंने कहा के जजों को फ़ुटबाल एम्पायर बनना चाहिए जो फ़ुटबाल के साथ साथ दोद कर फेसला करता है और यही सही फेसला होता है .
आज इस गोष्ठी में मेने भी अपने विचार रख जिसमे दहेज़ प्रताड़ना की धारा को जमानती अपराध बनाने ,समझोता योग्य बनाने ,झुन्ठा मुकदमा करने वाली महिला के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने ...घरेलू हिंसा कानून को प्रभावी बनाने ...दहेज़ और उपहार की सूचि शादी के वक्त रजिस्ट्रेशन कराने ..पुलिस अनुसन्धान में बदलाव कर महिला जहां रहती थी उस जगह के दो सम्भ्रांत गवाहों के ब्यान आवश्यक रूप से लेने के  सुझाव शामिल थे ,,,मेरे अलावा हरीश शर्मा ,जमील अहमद. दीपक मित्तल ...नाजिमुद्दीन सिद्दीकी ....कल्पना शर्मा ..सलीम खान ..मदन लाल शर्मा .महेश गुप्ता एडवोकेट और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राकेश शर्मा ,नीरज भामू ने भी अपने सुझाव दिए ..शिव कुमार शर्मा ने भाई दिनेश द्विवेदी के ब्लॉग अदालत पर इन दिनों चलाई गयी दहेज़ प्रताड़ना के सुझावों की मुहीम की भी सराहना की .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. .अख्तर भाई बहुत सही कहा गया ये निम्न -
    शिवकुमार जी ने कानूनी बात कहते हुए कहा के जजों को क्रिकेट के अम्पायर नहीं बनना चाहिए के एक जगह खड़े खड़े हाथ उठा कर फेसला सुनाते रहे उन्होंने कहा के जजों को फ़ुटबाल एम्पायर बनना चाहिए जो फ़ुटबाल के साथ साथ दोद कर फेसला करता है और यही सही फेसला होता है .
    दहेज के खिलाफ बने नियमों को सख्ती से लागु किया जाये और जो भी जरुरत हो समय के अनुसार फेर बदल कर संशोधित करें तभी हम नयी नयी तरह की समस्याओं से निपट सकेंगे

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