राजस्थान सरकार खुद भ्रूण हत्या और साक्षरता के मामले में बहतरीन सरकार होने का गुणगान करती रही हे लकिन यह क्या य्हना तो जनगणना के आंकड़ों ने इनकी पोल खोल कर ही रख दी हे यहाँ बच्चियों को गर्भ से बाहर नहीं आने दिया गया जबकि साक्षरता के नाम पर सिर्फ ठगी ही हुई हे और यही कारण हे के हम ने आधा लक्ष्य भी प्राप्त नहीं किया हे .
राजस्थान में सरकार ने वर्ष २००२ से आज तक घर घर साक्षरता की अलख जगाने के लियें ७६०० करोड़ रूपये खर्च कर दिए हें यहाँ महिलाओं को विशेष सुविधा, महिला साक्षरता के लियें मिड डे मील से लेकर युनिफोर्म किताबों की सुविधा पेरा टीचर्स ,राजिव गांधी पाठशालाएं , साक्षरता मिशन ,स्कूली शिक्षा सारे खर्च बेकार और यहाँ शिक्षा का प्रतिशत बढने की जगह और कम हो गया हे दस साल के करोड़ों खर्च के बाद इस सफर में साक्षरता में केवल ९ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी अपने आप में एक मजाक हे राजस्थान में केवल ५३ प्रतिशत साक्षरता जो सभी राज्यों से पिछड़ा हुआ हे साक्षरता की बात तो दीगर हे लेकिन महिलाओं का जन्म यहाँ रोका गया हे भ्रूण हत्या और टेस्ट अगर हम देखे तो सभी कानून कायदों को ताक में रख कर यहाँ मिस्केरिज और गर्भपात के बढ़े खेल चले हें और यही कारण है के यहाँ लडकियों को जन्म देने से पहले ही रोक दिया गया अब राजस्थान में महिलाओं की संख्या कम हे . इन बदली हुई परिस्थितयों में राजस्थान सरकार को साक्षरता और महिलाओं के गर्भपात रोकने के लियें जो भी प्रयास किये हें उनकी समीक्षा करना आनिवार्य हे और जाँच के बाद सम्बधित घोटालेबाजों को भी दंड देना जरूरी हे जरा सोचो ७६०० करोड़ में केवल लाखों की साक्षरता लुट की हद हो गयी ना ............................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
बड़ी सही और सटीक बार लिखी है..हर साख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तान क्या होगा?
जवाब देंहटाएं